स्मार्ट सिटी के कार्यों की गुणवत्ता और तकनीकी जांच के लिए आईआईटी पटना को दो करोड़ रुपये दिये जाने हैं। करार के तहत मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी ने प्रथम किस्त के रूप में 40 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है।
एमडी विवेक रंजन मैत्रेय ने बताया कि सभी योजनाओं की अंतिम जांच होने तक दो करोड़ रुपये आईआईटी पटना को दिये जायेंगे। प्रथम किस्त में 20 प्रतिशत राशि का भुगतान किया गया है।
एमडी ने बताया कि अगले सप्ताह तक आईआईटी पटना की टीम जांच के लिए मुजफ्फरपुर आ सकती है। आईआईटी के एक्सपर्ट शहर में योजनाओं पर हो रहे कार्य की गुणवत्ता देखेंगे। टीम यह भी देखेगी कि एस्टीमेट के अनुरूप काम हुआ है या नहीं। योजनाओं पर किये गये कार्य तकनीकी रूप से कितने परिपूर्ण हैं, इसका आकलन भी करेगी। स्मार्ट सिटी की योजना के तहत होने वाले सभी कार्यों की त्रिस्तरीय जांच होनी है। इसके लिए काम शुरू होने से पहले ही एजेंसी से स्मार्ट सिटी को एग्रीमेंट कर लेना था। कई कारणों से त्रिस्तरीय जांच के लिए एजेंसी के चयन में विलंब हुआ। अंतत: बीते माह मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी ने आईआईटी पटना से त्रिस्तरीय जांच के लिए एग्रीमेंट किया था। आईआईटी की जांच में यदि स्मार्ट सिटी की योजनाओं की गुणवत्ता एस्टीमेट के अनुरूप नहीं पाई जायेगी तो निर्माण कंपनी को नये सिरे से निर्माण कराना पड़ सकता है।
आईआईटी पटना से ही एस्टीमेट व डिजाइन को मिली थी मंजूरी :
शहर में अभी बनाए जा रहे नाले व रोड के एस्टीमेट की मंजूरी आईआईटी पटना से ली गई थी। शहर में अन्य योजनाओं से हो रहे सभी नालों के दीवार की ढलाई में दो सरिया का उपयोग होता है। लेकिन, स्मार्ट सिटी के नाले की दीवार में एक ही सरिया होता है। बॉक्स नाला के स्लैब में भी सिंगल सरिया दिए जा रहे हैं। मेयर सह स्मार्ट सिटी के निदेशक राकेश कुमार ने इस पर सवाल उठाया था।
मेयर ने पकड़ी गड़बड़ी तो तिलकमैदान में रुक गया काम :
स्मार्ट सिटी के तहत तिलकमैदान राड में नाला निर्माण कराया जा रहा है। मेयर ने इस नाले के निर्माण का निरीक्षण किया था, जिसमें पाया गया कि पुराने नाले को तोड़ने के बाद कई जगहों पर निर्माण कंपनी महज 14 इंच गहरा नाला बना रही थी, जबकि एस्टीमेट में न्यूनतम एक मीटर गहरा नाला होना चाहिए था। मेयर के द्वारा गड़बड़ी पकड़ी जाने के बाद बीते डेढ़ माह से तिलकमैदान रोड में निर्माण रुका पड़ा है। खुदे हुए नाले के कारण स्थानीय व्यवसायी परेशानी झेल रहे हैं। अधूरा निर्माण के कारण सड़क पर नाले का गंदा पानी बह रहा है।
पानी और कीचड़ में हफ्तों सरिया बांधकर नहीं करते ढलाई :
स्मार्ट सिटी के निदेशक सह मेयर ने निरीक्षण में यह भी पाया था कि निर्माण कंपनियां नाले में पानी और कीचड़ के बीच हफ्तों सरिया बांधकर छोड़ दे रही हैं, जिससे सरिया में जंग लग जाता है। जंग लगे सरिया में ही ढलाई कराई जाती है। मेयर ने सवाल उठाया था कि इससे निर्माण की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने इसकी शिकायत प्रधान सचिव से भी की थी।
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