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मुजफ्फरपुर का फिर डूबना तय, जहां STP निर्माण के लिए जमीन चुनी वहीं विवाद, 4 STP प्लांट का होना है निर्माण

मुजफ्फरपुर, जासं। स्मार्ट सिटी के अलावा निगम में बड़ी योजनाओं पर काम तो शुरू हुआ, लेकिन बेहतर प्लान के बिना। नतीजा एक भी योजना समय से पूरी नहीं हो रही। इसमें सबसे बड़ी योजना है स्ट्रामवाटर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) निर्माण की।

चार एसटीपी में से तीन के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी है। ऐसा इसलिए भी कि हर बार विवाद वाली जमीन का ही चयन किया गया। एक एसटीपी का निर्माण शुरू होने के बाद भी विवाद के कारण ग्रहण लग गया। अब जबकि मानसून सिर पर है, शहर से जल निकासी के लिए प्रस्तावित चार में से तीन एसटीपी के लिए जमीन नहीं मिल सकी। इससे इस वर्ष भी शहर का फिर डूबना तय है। विदित हो कि अमृत योजना के तहत 183.40 करोड़ की लागत से तीन एसटीपी का निर्माण तिरहुत केनाल, मणिका मन एवं खबड़ा में होना है। तिरहुत केनाल को छोड़ अन्य एसटीपी के लिए चयनित जमीन विवाद में फंस गई। वहीं स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दाउदपुर कोठी मुहल्ले में एक एसटीपी के लिए चिह्नित जमीन भी विवाद में फंस गई। यहां भी नए स्थान की तलाश पूरी नहीं हो पाई है।

खबड़ा में नहीं मिली जमीन, मणिका में विवाद

शहर के पूर्वी भाग का बरसाती पानी निकालने के लिए मणिका मन के पास एसटीपी का निर्माण होना था। कल्याणी चौक से बाबा गरीबस्थान मंदिर होते हुए एसटीपी तक ड्रेन का निर्माण करना था। खबड़ा में बनने वाले एसटीपी को फरदो नाला का जीर्णोद्धार कर जोडऩा था। इससे शहर के पश्चिमी-दक्षिणी भाग को जल जमाव से निजात मिल जाता। खबड़ा में शिव मंदिर के पास पोखर की जमीन चिह्नित की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण निर्माण कार्य रुक गया। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने भी पोखर की जमीन पर एसटीपी निर्माण पर रोक लगा दी। बाद में निगम ने जमीन खरीद के लिए विज्ञापन भी निकाला, फिर भी जमीन नहीं मिल पाई।

सियासत में फंसा निर्माण

मणिका मन में बनने वाला एसटीपी सियासत में फंस गया। यहां शिलान्यास करने गए तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा को वर्ष 2020 में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसके कई माह बाद प्रशासनिक दबाव में काम शुरू कराया गया, मगर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कार्य पर रोक लगा दिया। तब से जमीन की तलाश जारी है। हाल ही में गोशाला की जमीन को चिह्नित किया गया, लेकिन वह भी अपनी जमीन देने को तैयार नहीं। ऐसे में दोनों एसटीपी के निर्माण को जमीन का फैसला नहीं हो पाया है।

सरकारी जमीन को निजी बता लोगों ने रोक दिए दाउदपुर कोठी में कार्य

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एसटीपी निर्माण के लिए दाउदपुर कोठी स्थित पीएचईडी एवं स्वास्थ्य विभाग की 3.11 एकड़ जमीन का चयन किया गया था। जैसे ही एजेंसी ने वहां काम करने के लिए मापी शुरू की लोगों ने इसे निजी जमीन बताकर काम रोक दिया। तब से नए जमीन की तलाश पूरी नहीं हो पाई। काम आज तक अटका हुआ है। इस एसटीपी की मदद से स्मार्ट सिटी के एबीडी एरिया से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध कर सिकंदरपुर मन में प्रवाहित करना था। यह काम भी अटका हुआ है। स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ भूदेव चक्रवर्ती ने कहा किदाउदपुर कोठी के पास पीएचईडी की एक जमीन को चिह्नित कर एनओसी मांगा गया है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। एनओसी मिलते की एसटीपी का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

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Shivam

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