उत्तर बिहार में 70 फीसदी रेललाइन का विद्युतीकरण हो चुका है। शेष 30 प्रतिशत रेललाइन का विद्युतीकरण एक वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बावजूद 27 फीसदी ही इलेक्ट्रिक ट्रेनें चल रही हैं।
उत्तर बिहार की 86 में से 60 सवारी गाड़ी डीजल से चलती हैं। इससे विद्युत लाइन का फायदा यात्रियों को नहीं मिल पा रहा है।
उत्तर बिहार में चलने वाली कुल 86 में से महज 26 ट्रेनें ही विद्युत से चलती हैं। विद्युतीकरण के अनुपात में इलेक्ट्रिक ट्रेनें नहीं चल पा रही हैं। इससे पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही है। उत्तर बिहार में पैसेंजर ट्रेनों की औसत रफ्तार 50 किमी प्रतिघंटे है। इस संबंध में समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम आलोक अग्रवाल ने बताया कि बिजली से चलने वाली मेमू रैक की तुलना में डीजल से चलने वाली डेमू रैक अधिक है। रैक उपलब्ध होते ही बिजली से चलने वाली ट्रेनें बढ़ेंगी। वर्ष 2023 तक मंडल के सभी रेलखंड पर विद्युतीकरण हो जाएगा। इससे इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाने में मदद मिलेंगी। बता दें कि डीजल लेने के लिए भी कई बार ट्रेनें लेट हो जाती हैं जबकि इलेक्ट्रिक ट्रेनों के साथ इस तरह की समस्या नहीं है।
इलेक्ट्रिक ट्रेनों के फायदे
-डीजल की तुलना में तेजी से रफ्तार पकड़ती इलेक्ट्रिक ट्रेन
-बिजली से चलने वाली मेमू ट्रेन में शोर नहीं होता
-मेमू ट्रैक से प्रदूषण उत्पन्न नहीं होने पर्यावरण संरक्षण में मदद
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