नीतीश कुमार नहीं बन पाते मुख्‍यमंत्री अगर इन नेताओं ने नहीं संभाला होता मोर्चा…..



बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार एक मार्च को अपना जन्‍मदिन मना रहे हैं। उनका जन्‍म इसी तारीख को वर्ष 1951 में हुआ था। वे बिहार में सबसे अधिक दिनों तक मुख्‍यमंत्री बने रहने का रिकार्ड बना चुके हैं। इसी के साथ उन्‍होंने बिहार में सबसे अधिक बार मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने का भी रिकार्ड बनाया है।




उनकी ही पार्टी के नेता जीतन राम मांझी के कुछ महीनों के कार्यकाल को छोड़ दें तो नीतीश कुमार करीब 16 वर्ष से बिहार के मुख्‍यमंत्री बने हुए हैं। लेकिन, क्‍या आपको पता है कि जनता दल यूनाइटेड के इस नेता को पहली बार इस पद तक पहुंचाने में उनकी खुद की पार्टी की बजाय एक सहयोगी दल के दो नेताओं का सबसे बड़ा रोल रहा।




नीतीश कुमार, पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल में आए। अटल सरकार में उन्‍हें रेल मंत्रालय सहित अहम जिम्‍मेदारियां दी गईं। इसी दौरान उनकी लाल कृष्‍ण आडवाणी और अरुण जेटली से प्रगाढ़ता हुई।




बिहार में लालू-राबड़ी राज को खत्‍म करने के लिए भाजपा-जदयू गठबंधन की ओर से मुख्‍यमंत्री पद के लिए किसका चेहरा आगे किया जाए, एक वक्‍त इस पर काफी रार मची। इस तकरार को शांत करने में आडवाणी और जेटली की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है।




भाजपा और जदयू दोनों में था नीतीश कुमार का विरोध
भाजपा-जदयू गठबंधन की ओर से मुख्‍यमंत्री पद के उम्‍मीदवार का ऐलान चुनाव से पहले करना आसान नहीं था। यह वाकया 2004 से 2005 के बीच का है। जदयू के कई नेता खुद को मुख्‍यमंत्री पद के लिए आगे करने के प्रयास में जुटे थे। जदयू के तब के कद्दावर नेता जार्ज फर्नांडीज ने कह दिया था कि चुनाव के बाद विधायक बैठकर अपने नेता का चुनाव करेंगे।




जदयू के एक और नेता दिग्विजय सिंह के बारे में कहा जाता है कि उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री के नाम के तौर पर नीतीश कुमार को आगे करने का विरोध किया था। भाजपा के कई नेता भी इस आधार पर नीतीश कुमार का विरोध कर रहे थे, कि उनका नाम आगे करने पर अगड़ी जातियों के वोटर बिदक सकते हैं। लेकिन आडवाणी और जेटली ने न सिर्फ भाजपा बल्कि जदयू के नेताओं को भी मुख्‍यमंत्री के तौर नीतीश कुमार को स्‍वीकार करने के लिए तैयार किया। यह फैसला कामयाब साबित हुआ।




कब कितने दिन रहे मुख्‍यमंत्री
पहली बार – 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 – सात दिन
दूसरी बार – 24 नवंबर 2005 से 26 नवंबर 2010 – पांच वर्ष
तीसरी बार – नवंबर 2010 से मई 2014




चौथी बार – फरवरी 2015 से नवंबर 2015
पांचवीं बार – नवंबर 2015 से जुलाई 2017
छठी बार – जुलाई 2017 से नवंबर 2020
सावतीं बार – नवंबर 2020 से अब तक



INPUT: jagran.com



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