मुजफ्फरपुर: पेट्रोल की तरह खुदरा सब्जियों के भाव भी बढ़ रहे हैं। यह आम-आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। इससे थाली से हरी सब्जियां गायब होती जा रही हैं। वहीं, गरीब की सब्जी कहा जाने वाला आलू भी महंगा होता जा रहा है। इससे लोगों के खाने का जायका बिगड़ गया है। छठ महापर्व से बढ़े सब्जियों के दाम अभी बरकरार हैं। नया आलू 50 से 60 में तो पुराना 25 से 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
सब्जी महंगी होने से अन्य चीजों में कर रहे कटौती
सब्जियों की कीमत अधिक होने से लोग अन्य दूसरे खाने-पीने की चीजों में कटौती कर रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यमवर्गीय परिवार के लोग हो रहे हैं। बताते हैं कि सब्जियों की पैदावार में कमी और बाहर से आवक से कीमतों में उछाल आया है। ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार के लोग सब्जियों के विकल्प के रूप में न्यूट्रिला, राजमा, चना, मटर आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। सबसे खराब स्थिति निम्नवर्गीय गरीब परिवारों की है जो भोजन में आलू का भी प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं।
सरकार चाहे तो महंगाई पर हो सकता नियंत्रण
गृहिणी चंदा देवी कहती हैं कि खाना पकाने के लिए जो चीजें चाहिए उनकी कीमत बढ़ रही है। महंगाई चरम पर है। धनी वर्ग के लोगों के लिए महंगाई कोई मायने नहीं रखती। केंद्र सरकार इसे नियंत्रित करने में असफल है। सरकार की अगर इच्छाशक्ति हो जाए तो निश्चित रूप से महंगाई पर नियंत्रण हो सकता है। सब्जी भाव (प्रति किलो) पूर्व अब
आलू 18-20 20-25
टमाटर 24-40 80-90
परवल 40-50 80
भिडी 40- 50 70-80
शिमला मिर्च 40-50 100-120
गोभी 140-150 80-100
प्याज 30-32 35-40
लहसुन 50-60 70-80
INPUT: JNN
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