डीएमके सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उत्तर भारत के राज्यों को गौमूत्र राज्य बताया था. इस बीच उत्तर भारतीयों को लेकर डीएमके के एक और नेता दयानिधि मारन के भी बोल बिगड़ते हुए नजर आ रहे हैं.
मारन ने हिंदी पट्टी के राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को लेकर एक बार फिर विवादित बयान देकर राजनीतिक बहस का मुद्दा खड़ा कर दिया है.
डीएमके (DMK)सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग जो केवल हिंदी सीखते हैं वो निर्माण कार्यों के लिए तमिलनाडु चले जाते हैं. वह सड़कों और शौचालयों की सफाई जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं.
मारन ने इसका उदाहरण सिर्फ इसलिए दिया कि यह हिंदी सीखने के परिणामों को दर्शाता है. डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन की हिदायत के बाद भी इस तरह के बयान आने से उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच भाषायी मुद्दा एक बार फिर गरम हो सकता है.
दयानिधि मारन के इस विवादित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो क्लिप को बीजेपी नेता खूब साझा कर रहे हैं. इस वीडियो को लेकर बीजेपी नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस पर उनकी राय पूछ रहे हैं.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने उत्तर भारतीय राज्यों के बारे में डीएमके सांसद सेंथिल कुमार की आपत्तिजनक टिप्पणी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की टिप्पणी (जब वह सीएम नहीं थे) को भी इससे जोड़ते हुए मुद्दे को गरम कर दिया है. रेवंत रेड्डी ने कहा था कि तेलंगाना का डीएनए बिहार के डीएनए से बेहतर है. वहीं, अब डीएमके नेता दयानिधि मारन ने इस तरह का ताजा बयान देकर कुछ शांत हुए उत्तर-दक्षिण बहस के मुद्दे को फिर हवा देने का काम कर दिया है.
अहम बात यह है कि पिछले दिनों हिंदी पट्टी राज्यों में कांग्रेस को 3 राज्यों में मिली करारी हार पर संसद के शीतकालीन सत्र में डीएमके सांसद सेंथिल कुमार ने गोमूत्र राज्य वाला बयान दिया था कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी. उसने डीएमके के प्रमुख एम के स्टालिन को इस बात के लिए सख्त रूख अपनाने के लिए यह कहा था कि इस तरह के बयानों को लेकर आगे सतर्कता बरतनी चाहिए.
खास बात यह है कि डीएमके विपक्षी इंडिया गठबंधन का सहयोगी दल भी है जिसमें जेडीयू, आरजेडी और समाजवादी पार्टी भी शामिल हैं. यह तीनों विपक्षी गठबंधन दल बिहार और उत्तर प्रदेश के मुख्य राजनीतिक दल हैं.
बिहार बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, “क्या नीतीश कुमार और लालू यादव हिंदी भाषी लोगों पर अपने गठबंधन सहयोगी की राय से सहमत हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि डीएमके और इंडिया ब्लॉक को हिंदी भाषी लोगों के प्रति इतनी नफरत क्यों है.”
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