मुजफ्फरपुर। स्मार्ट सिटी की तरह ही रिवर फ्रंट डेवलमेंट योजना का बुरा हाल है। दोनों ही योजना के लिए समय सीमा मायने नहीं रखता। योजना के पूरा होने में एक साल की जगह एक दशक भी लग सकता है।
क्योंकि न कोई टोकने वाला है और न ही कोई देखने वाला। योजना का यह हाल तब है जब इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं किया था। योजना की गति को लेकर कार्यकारी एजेंसी बिहार शहरी आधारभूत संरचना निगम की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।
आश्रमघाट, सिकंदरपुर एवं अखाड़ाघाट का होना है विकास
नमामि गंगे योजना के तहत 10.77 करोड़ की रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर 2020 को इस योजना का आनलाइन शिलान्यास किया था। योजना के तहत अखाड़ाघाट, सिकंदरपुर सीढ़ी घाट एवं आश्रम घाट का विकास किया जाना है। नदी किनारे तीनों स्थान पर पचास-पचास मीटर सीढ़ी घाट का निर्माण, वहां तक पहुंच पथ का निर्माण होना है। घाट को ग्रीन फील्ड के रूप में विकसित किया जाना है। यहां टहलने के लिए पाथ वे का निर्माण होना है। सुरक्षा के लिए वाच टावर का निर्माण किया जाना है। लेकिन योजना को तेजी से पूरा करने की जगह धीमी गति से कार्य चल रहा है। एक साल बीच गए लेकिन पांच प्रतिशत काम भी नहीं हुआ है। योजना जमीन पर दिखाई नहीं पर रही है। कार्य कर रही एजेंसी पहले निर्माण स्थल पर अतिक्रमण का बहाना बनाकर काम नहीं कर रही थी लेकिन जब निगम द्वारा अभियान चलाकर अतिक्रमण को हटा दिया गया तब भी काम की गति पहले जैसा ही है। अखाड़ाघाट में निर्माण को लेकर भी पेच फंसा है। योजना के लिए स्वीकृत जमीन को निजी बताकर वहां निर्माण को टाला जा रहा है।
नमामि गंगे योजना को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गईं। विकास की बड़ी-बड़ी बात कहीं गई लेकिन आज तक कुछ दिखाई नहीं पड़ा।
ब्रजेश कुमार सिंह, बीबी गंज
बूडकों को जो भी काम मिलता है वह पूरा नहीं हो पाता। नमामि गंगे योजना का काम भी बूडकों को मिला है। यह पूरा होगा या नहीं कहा नहीं सकता।
राजीव कुमार सिन्हा
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