65वीं BPSC परीक्षा में 45वां रैंक लाने वाले किसान के बेटे ने जिले के मान बढ़ाया दिया है। रिजल्ट आने के बाद गांव में खुशी का माहौल है। चारों तरफ मिठाइयां बांटी जा रही है। परिजन खुशी से फुले नहीं समा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कटरा धनौर गांव के राम लक्ष्मण सिंह के बेटे राजीव कुमार सिंह की।
जिन्होंने BPSC परीक्षा में सफलता हासिल की है। इसका पूरा श्रेय अपनी मेहनत और माता-पिता को देते हैं। राजीव कहते हैं उनके पिता का अहम योगदान रहा है। आज जो कुछ हैं वह अपने पिता की बदौलत। कैसे उनकी पढ़ाई हुई और उनके माता-पिता को क्या-क्या कष्ट झेलना पड़ा है। वे कभी इस बात को नहीं भूल सकते हैं। राजीव के पिता भगवान को धन्यवाद देते हैं और कहते हैं, बिना उनकी मर्जी के कुछ नहीं होता है। सब उन्हीं की कृपा है।
मैट्रिक में फेल होने के बाद टूटा था मनोबल
राजीव ने 1999 में मैट्रिक की परीक्षा दी थी। लेकिन, वे इसमें एक नम्बर से फेल कर गए। बहुत अफसोस हुआ था। मनोबल पूरी तरह टूट गया था। एक बार तो पढाई छोड़ने का ख्याल मन मे आया था। लेकिन, उस समय पिता ने हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ने की हिम्मत दी। राजीव ने जीतोड़ मेहनत शुरू किया। अगले वर्ष मेट्रिक में अच्छे नम्बर से उत्तीर्ण हुए। इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
इंटर पास करते CISF जॉइन किया
2002 में राजीव ने इंटर पास किया। पहले से तैयारी कर रहे थे तो CISF में क्लर्क की नौकरी मिल गयी। फिर सात वर्ष तक नौकरी करने के बाद छोड़ दिया। क्योंकि मन मे कुछ और करने और बनने की तमन्ना थी। नौकरी के साथ पढाई और तैयारी जारी रखा।
टैक्स असिस्टेंट से कस्टम सुपरिटेंडेंट तक का सफर
भिलाई स्टील प्लांट में नौकरी करने लगे। फिर 2009 में सेंट्रल एक्साइज में टैक्स असिस्टेंट के पद पर नियुक्ति हुई। इसके बाद कस्टम में इंस्पेक्टर और फिर सुपरिटेंडेंट के पद तक पहुंच गए। वर्तमान में भिलाई में ही कस्टम सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात हैं। लेकिन, अब ये नौकरी छोड़ DSP बनना चाहते हैं।
आर्थिक तंगी में था परिवार
राजीव के पिता बताते हैं, वे किसान है। अधिक आमदनी नहीं होती थी। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। लेकिन, राजीव की पढ़ाई के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ा। उसकी सभी ज़रूरतों को पूरा किया। आज उसके BPSC पास करने पर काफी खुश हैं और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कहते हैं, राजीव हमेशा कहता था की पिताजी उसका सपना कुछ और ही है। उसे पुलिस में नौकरी करनी है। इसलिय उसने नौकरी करने के दौरान भी अपनी पढ़ाई जारी रखी।
अपराध का गढ़ रहा धनौर
कटरा का धनौर गांव अपराधियों का गढ़ माना जाता है। कई कुख्यात अपराधी इस गांव से हैं। कई तो अब भी जेल में बंद हैं। बड़ी से बड़ी घटना के पीछे धनौर के शातिरों का नाम सामने आता है। ऐसे गांव के लड़के ने जब BPSC में परचम लहराया तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। स्थानीय बुजुर्ग कहते हैं, राजीव की सफलता गांव के दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा साबित होगी। जो अपना रास्ता भटक गए हैं।
INPUT: Bhaskar
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