मुजफ्फरपुर। सरकार द्वारा फिर से अपने पद पर बहाल महापौर सुरेश कुमार के खिलाफ सोमवार को नगर निगम के 25 पार्षद दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। इस बार भी पार्षदों ने उन पर आटो टिपर घोटाले का आरोपित होने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। महापौर कार्यालय नहीं आए। वे अभी इस बात पर अड़े हैं कि जब तक नगर आयुक्त उनको पत्र लिखकर नहीं बुलाते वे नहीं आएंगे। महापौर के नहीं आने पर वार्ड 23 के पार्षद राकेश कुमार सिन्हा व 28 के राजीव कुमार पंकू के नेतृत्व में आधा दर्जन पार्षदों ने महापौर कक्ष के कर्मचारी को प्रस्ताव की कापी सौंपी। इस दौरान वार्ड पार्षद संतोष महाराज ने शंख बजाकर सुरेश कुमार को हर हाल में महापौर की कुर्सी से हटाने की घोषणा की।
पार्षदों ने महापौर के कार्यालय कक्ष के प्रवेश द्वार पर प्रस्ताव की कापी चस्पा कर दी। साथ ही उनके आवासीय पता पर भी निबंधित डाक से इसकी कापी भेजी। बाद में पार्षदों ने नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय को प्रस्ताव की कापी सौंपी। इस दौरान कर्मचारियों में गहमागहमी रही।
प्रस्ताव पर उपमहापौर समेत 15 पार्षदों ने किए हस्ताक्षर : अविश्वास प्रस्ताव पर उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला के अलावा वार्ड 23 के पार्षद राकेश कुमार सिन्हा, 28 के राजीव कुमार पंकू, 17 के विकास कुमार, 45 के शिव शंकर महतो, 30 की सुरभि शिखा, 47 की गीता देवी, दो की गायत्री चौधरी, सात की सुषमा देवी, 31 की रूपम कुमारी, नौ के एनामुल हक, 48 के मो. हसन, 25 के संतोष कुमार शर्मा, 10 के अभिमन्यु चौहान, 29 की रंजू सिन्हा, 35 की आभा रंजन, 36 की प्रियंका शर्मा, 38 की शबाना परवीन, 18 की संजू देवी, 42 की अर्चना पंडित, 14 के रतन शर्मा, 33 की रेशमी आरा, 24 की शोभा देवी, 34 की सालेहा खातून और वार्ड 16 के पार्षद विकास सहनी शामिल हैं।
जुलाई में आए प्रस्ताव में हार गए थे सुरेश कुमार : इससे पहले 12 जुलाई को निगम के 18 पार्षद महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। उस समय भी महापौर ने बैठक नहीं बुलाई थी। इस पर प्रस्ताव लाने वाले पार्षदों ने नगर आयुक्त के माध्यम से 24 जुलाई को बैठक बुलाई। इसमें हुए मतदान में महापौर सुरेश कुमार हार गए थे। उनके खिलाफ 31 पार्षदों ने मत दिया था। आठ पार्षदों ने उनके समर्थन में वोट किया। एक पार्षद ने वोट नहीं दिया और एक ने बैठक का बहिष्कार किया था।
समय पर पार्षदों को बैठक की सूचना नहीं देने पर बची महापौर की कुर्सी : अविश्वास पर चर्चा को हुई पिछली बैठक को निर्वाचन आयोग ने यह कहते हुए अवैध करार दिया था कि पांच पार्षदों को समय पर सूचना नहीं दी गई थी। निर्वाचन आयोग ने इसके आधार पर आठ अक्टूबर को महापौर की कुर्सी पर सुरेश कुमार को फिर से बहाल कर दिया था। नगर आयुक्त ने इसकी सूचना से महापौर को अवगत कराया था।
महापौर पर ये लगाए आरोप
– आटो टिपर एवं डस्टबिन खरीदारी घोटाले में आरोपित हैं महापौर
– नगर निगम बोर्ड एवं सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलाने में लापरवाही
– महापौर की अक्षमता से शहर में जलजमाव और नारकीय हालात
– प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन में शहर पिछड़ा
– ईमानदार एवं कर्मठ नगर आयुक्त के साथ बराबर तकरार
INPUT: JNN
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