बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के सकरा थाना अंतर्गत बरियारपुर ओपी क्षेत्र के महमदपुर बनबारी गांव के 60 वर्षीय राम सुंदर पासवान पांच साल बाद अपने गांव लौटे है। वर्ष 2016 में बंगाल से भटक कर बांग्लादेश सीमा में पहुंच गए थे। इसके बाद बंगलादेश के जेल में ही बंद थे।
बीते दिनों बंगलादेश सरकार में विदेशी बंदियों की रिहा किया। इसमें मुजफ्फरपुर के सकरा के रामसुंदर भी शामिल थे।रिहाई के बाद बांग्लादेश ने रामसुंदर को वेस्ट बंगाल सरकार को सौंपा। जिसके बाद इनके परिजन पश्चिम वंगाल जाकर रामसुंदर को लिया। इससे पहले राम सूंदर के परिजनों को पुलिस के माध्यम से उसके रिहा करने की सूचना दी गई। पश्चिम बंगाल के इंग्लिश पुलिस स्टेशन ने रामसुंदर को उसके भाई बालेश्वर पासवान को सौंप दिया।
पैदल ही भटकर चला गया था बांग्लादेश
इधर स्वदेश वापसी के बाद रामसुंदर पासवान ने बताया कि वे भटकते हुए पैदल ही बंगलादेश के सीमा में घुस गए थे। जहां बांग्लादेश की पुलिस ने पकड़ लिया था। इसके बाद जेल में बंद कर दिया। उन्होंने ने बताया कि जेल में किसी प्रकार की भेदभाव व अन्य समस्या नहीं आयी। घर परिवार से पांच साल तक दूर रहना काला पानी की सजा की तरह था। पांच साल तक परिवार के किसी भी सदस्य से मिलना तो दूर बातचीत तक नहीं हो पाई।
मानसिक रूप से बीमार हो गए रामसुंदर
भाई बालेश्वर पासवान ने बताया कि सरकार, पुलिस व प्रसाशन ने कई बार बंगलादेश जेल में बन्द राम सुंदर पासवान के चरित्र का सत्यपन कराया। लम्बे इंतजार के बाद उसे रिहा किया गया। राम सुंदर पासवान की मानसिक स्थिति भी थोड़ी खराब है। वे कमाई के लिए पश्चिम बंगाल गए थे।
INPUT: Hindustan
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