पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा के सब्जी विक्रेता राजन साह की पांच वर्षीय बेटी खुशी के अपहरण के मामले पर सुनवाई की। न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ के समक्ष मुजफ्फरपुर के टाउन डीएसपी उपस्थित थे।
एकलपीठ ने अनुसंधान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पूर्व के अनुसंधानकर्ताओं ने अनुसंधान के नाम केवल कागजी कार्रवाई की है। कोर्ट ने केस डायरी का अवलोकन कर यह पाया कि पुलिस ने उदासीन रवैया अपनाया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने 5-6 साल की बच्ची के अपहरण की घटना की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए बेहद लचीला रवैया अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले पहले से गठित एसआइटी को समाप्त कर मुजफ्फरपुर के पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में नई एसआइटी गठित करके जांच करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने यह भी पाया कि संदिग्ध व्यक्ति आकाश कुमार के बयान को भी पुलिस ने नजरअंदाज किया। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने पुलिस की जांच पर नाराजगी जताते हुए वर्तमान अनुसंधानकर्ताओं को जांच करने से रोक दिया था। साथ ही आगे की जांच डीएसपी एवं एसएसपी की अगुआई में करवाने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता के वकील ओम प्रकाश ने कोर्ट को बताया कि 16 फरवरी 2021 को बच्ची का अपहरण कर लिया गया था, लेकिन एक साल चार महीने बीतने के बाद भी आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट के साथ मुजफ्फरपुर के टाउन एसएसपी एवं डीएसपी को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।