बिहार में जाति आधारित गणना के लिए संस्थागत ढांचे को तय करने के बाद अब यह तय किया जाना है कि जाति आधारित गणना का काम किस तरह से किया जाए। आंकड़े इकट्ठा किए जाने का स्वरूप क्या हो। इस काम के लिए सरकार कंसलटेंट की सेवा लेगी। कंसलटेंट तय किए जाने की दिशा में विमर्श चल रहा है। राज्य सरकार ने जनगणना के काम में कभी प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा नहीं लिया है। केंद्र सरकार का विषय है जनगणना। गृह मंत्रालय की सीधी देखरेख में यह काम होता है। वहीं बिहार में जनगणना से थोड़ा और आगे जाति आधारित गणना की जानी है।
इस वजह से लिया गया कंसलटेंट की सेवा का फैसला इस क्षेत्र में बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों के पास अनुभव नहीं है। देश में किसी अन्य राज्य में भी इतने वृहत स्तर पर जाति आधारित गणना का काम भी नहीं हुआ है कि वहां से इस बारे में प्रशासनिक अनुभव लिया जाए। इसलिए सरकार के स्तर पर यह तय किया जा रहा कि इस काम का स्वरूप तय किए जाने को ले किसी नामी-गिरामी कंसलटेंट की सेवा ली जाए। कंसलटेंट को गणना या फिर सर्वे के क्षेत्र में खास अनुभव होना चाहिए। ऐसी योजना है कि कंसलटेंट तय करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया जाए।कंसलटेंट के सुझाए प्रारूप में अपनी आवश्यकता के हिसाब से संशोधन कंसलटेंट तय किए जाने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। उसे यह टास्क दिया जाएगा कि एक तय अवधि में वह यह बताए कि किस स्वरूप में जाति आधारित गणना का काम आगे बढ़े। उक्त रिपोर्ट में राज्य सरकार अपने हिसाब से संशोधन कर जाति आधारित गणना के काम को आगे बढ़ाएगी।
इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार कंसलटेंट के सुझाव के आधार पर ही जाति आधारित गणना में लगाए जाने वाले कर्मियों का फाइनल प्रशिक्षण होगा। इस बात पर जोर है कि आंकड़े फूलप्रूफ तरीके से जुटाए जाएं। जाति आधारित गणना के लिए राज्य कैबिनेट ने पांच सौ करोड़ की राशि आवंटित कर रखी है। कंसलटेंट की सेवा इस राशि से ही ली जाएगी या फिर अलग से इसके लिए आवंटन होगा, यह अभी तय नहीं है।