30 जनवरी 1948 को 78 साल की उम्र में नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. अब भारत में इस दिन यानी 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है. यह दिन उन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए समर्पित है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन तक लगा दिया:
महात्मा गांधी की हत्या के 5 असफल प्रयास
आपको बता दें कि 30 जनवरी 1948 से पहले गांधी जी की हत्या के 5 असफल प्रयास किए जा चुके थे. अंतत: दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम की प्रार्थना सभा से उठने के दौरान गांधी की हत्या कर दी गई थी.
गोडसे ने गांधी के सीने में तीन गोलियां मारी और उनकी हत्या कर दी. गाोडसे ने आरोप लगाया कि गांधी देश के विभाजन के जिम्मेदार थे.
पहला प्रयास: 25 जून, 1934
गांधी जी को मारने का पहला प्रयास पुणे में किया गया था. यहां एक कार्यक्रम में जब गांधी जी भाषण देने आए थे, तब साजिशकर्ताओं ने बापू को मारने के लिए एक कार पर बमबारी की थी.
दूसरा प्रयास: जुलाई 1944
जुलाई 1944 को गांधी जी को विश्राम के लिए पंचगनी जाना था. यहीं पर प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने उनके विरोध में नारे लगाए. गांधी जी ने समूह के नेता नाथूराम को चर्चा के लिए आमंत्रित किया लेकिन वह कार्यक्रम भी रद्द हो गया.
बाद में, प्रार्थना सभा के दौरान, गोडसे को एक खंजर के साथ गांधीजी की ओर भागते देखा गया था, लेकिन सौभाग्य से सतारा के मणिशंकर पुरोहित और भिलारे गुरुजी ने उसका सामना किया.
तीसरा प्रयास: सितंबर 1944
सितंबर 1944 में महात्मा गांधी ने सेवाग्राम से बॉम्बे की यात्रा की, जहां मोहम्मद अली जिन्ना के साथ बातचीत शुरू होनी थी. इस मौके पर नाथूराम गोडसे ने अपने गिरोह के साथ, गांधी जी के आश्रम को घेर लिया. डॉ सुशीला नैय्यर ने खुलासा किया कि नाथूराम गोडसे को आश्रम में लोगों ने गांधी तक पहुंचने से रोक दिया था. उसके पास से एक खंजर पाया गया था.
चौथा प्रयास: जून 1946
जून 1946 को गांधी जी को मारने का एक और प्रयास तब रचा गया जब वे गांधी स्पेशल ट्रेन से पुणे की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन पटरियों पर रखे पत्थरों से दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और हालांकि गांधी जी बच गए थे.
पांचवा प्रयास: 20 जनवरी, 1948
20 जनवरी 1948 को बिड़ला भवन में एक बैठक के दौरान ही बापू पर फिर से हमला करने की साजिश रची गई थी. मदनलाल पाहवा, नाथूराम गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, दिगंबर बैज, गोपाल गोडसे और शंकर किस्तैया ने हत्या को अंजाम देने के लिए बैठक में शामिल होने की योजना बनाई थी. उन्हें पोडियम पर बम फेंकना था और फिर गोली मारनी थी. लेकिन योजना काम नहीं आई और मदनलाल पकड़ लिया गया.
INPUT: indiatimes.com
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