यह प्राचीन मंदिर जर्जर स्थित में है.
लेकिन, अब पुरातत्व विभाग के द्वारा इस मंदिर की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है. बिहार के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल नालंदा में राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर महाभारत कालीन पुरातात्विक धरोहर बाबा सिद्धनाथ मंदिर का संरक्षण का काम शुरू कर दिया गया है. इस संरक्षण के कार्य की शुरुआत पुरातत्व विभाग के अधीक्षक गौतमी भट्टाचार्य ने ईट लगाकर की.
बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक बाबा सिद्धनाथ मंदिर को मगध साम्राज्य के राजा महाराजा जरासंध के द्वारा निर्माण कराया गया था. इतना ही नहीं बाबा सिद्धनाथ मंदिर पांच हजार साल पुराना है. जहां मंदिर की दीवार टूट कर गिर रही थी. प्राचीन धरोहर खतरे में थीं. बीते कई सालों से यह जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा था.
माना तो जाता है कि राजगीर के इस महाभारत कालीन मंदिर की स्थापना मगध सम्राट के राजा जरासंध के द्वारा गई थी. जिसके बाद से देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचकर बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं. सच्चे मन से मंदिर में मांगी गई मनोकामना के पूरे होने के बाद प्रतिवर्ष पूजा अर्चना करने भी पहुंचते हैं.
बताया जाता है कि राजा वृहद्रथ ने संतान प्राप्ति के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा पाठ किया करते थे तथा शिव कृपा से ही उनको पुत्र के रूप में जरासंध की प्राप्ति हुई. जिसके बाद राजा वृहद्रथ की हो गई. वृहद्रथ की मौत के बाद से राजा जरासंध ने राजगद्दी संभाली थी.
जरासंध ने राजगद्दी संभालते ही पिता के द्वारा स्थापित इस शिवलिंग को मंदिर से प्रवर्तित किया था. इसके साथ ही राज्य की खुशहाली व शांति के लिए यहां कठोर तपस्या भी की थी. तब प्रसन्न होकर भगवान शिव ने जरासंध को पशुपति अस्त्र और मल युद्ध में अपराजित रहने तथा दस हाथियों के बल का वरदान दिया था.
आज भी मंदिर की संरचना 50 इंच मोटी दीवार तथा 12 सिद्ध स्तम्भों से लैस यह मंदिर भगवान शिव और जरासंध का साक्षात गवाह है. मगध साम्राज्य जरासंध इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोभ तालाब की स्थापना कराई थी. जहां रोजाना स्नान के बाद इस मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते थे.