बेला ब्लास्ट के बाद इलाके में सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है। दरअसल, इलाके में करीब 250 से अधिक फैक्टरियां है। इसमें कैमिकल, दवा, उर्वरक से लेकर फूड आइटम तक के उत्पादन होता है। इन फैक्ट्रियों में करीब 35 से 40 हजार लोग काम करते है। जिनसे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है। लेकिन, इतने बड़े इंडस्ट्रियल एरिया के एक भी अस्पताल नहीं है। बताया जाता है कि इलाके में मौजूद कई ऐसी फैक्ट्री है जिनमें 3 शिफ्ट में काम किया जाता है।
वहीं, कई फैक्ट्रियों में 1 से दो शिफ्ट में काम किया जाता है। बताया जाता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए इलाके के कई फैक्ट्री संचालक मांग कर रहे थे। ब्लास्ट होने के बाद घायल कर्मचारियों को अस्पताल ले जाने के लिए अफरातफरी की स्तिथि बन गई थी। लेकिन, इलाके में अस्पताल नहीं होने की वजह से घायलों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इन्तेजार करना पड़ गया था।
वहीं, इलाके के लोग भी एम्बुलेंस के इन्तेजार में टकटकी लगाए बैठे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इलाके में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होता तो घायलों में अफरातफरी की स्तिथि नहीं रहती। उन्हें वहां प्राथमिक उपचार के लिए ले जाया जा सकता था। लेकिन, अस्पताल नहीं होने की वजह से एम्बुलेंस का इंतजार करना पड़ा था। एम्बुलेंस आने के बाद घायलों को अस्पताल भेजा जाने लगा।
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