बिहार सरकार की शराबबंदी कानून को पूरी तरह से पालन करने में सरकारी कर्मचारी ही बाधक साबित हो रहे हैं। कही पुलिस कर्मी या पदाधिकारी तो कही सबों को शराब नहीं पीने की नसीहत देने वाले शिक्षक महोदय खुद शराब पीते पिलाते गिरफ्तार हो रहे हैं। इस कड़ी का ताजा उदाहरण बुधवार की शाम वारिसलीगंज नगर परिषद क्षेत्र के सामबे गांव स्थित मध्य विद्यालय में गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी हुई। मौके पर तीन उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक समेत शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया है।
शराब पीने की पुष्टि के लिए तीनो शिक्षकों को वारिसलीगंज पीएचसी भेजा गया। जहां ब्रेथ एनलाइजर मशीन खराब रहने की वजह से पुलिस तीनों को पकरीबरावां स्थित एसडीपीओ कार्यालय ले गई। जहाँ जांच के दौरान सामबे मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह कस्तूरबा गांघी आवासीय बालिका विद्यालय के संचालक सुनील कुमार तथा नवादा निवासी नियोजित शिक्षक रजनीश कुमार में शराब पीने की पुष्टि हुई। जबकि साथ गिरफ्तार हुए प्रमोद कुमार में शराब की पुष्टि नहीं हुई। जांच बाद तीनों शिक्षको को वारिसलीगंज थाना लाया गया। ततपश्चात प्राथमिकी दर्ज कर न्यायालय भेजने की प्रक्रिया की जा रही है।
टोल फ्री नम्बर से हुआ शिकायत पर हुई छापेमारी
बिहार शरीफ में शराब पीने से एक दर्जन लोगों की मौत की घटना बाद नवादा जिला प्रशासन द्वारा शहरी क्षेत्र के हर सीमेंटेड इलेक्ट्रिक पोलों पर पिले कलर से प्रिंट कर काले मोटे अक्षरों में मद निषेध विभाग का फ़ोन एवं टोल फ्री नम्बर लिखवाया गया है। शिक्षकों की शराब पार्टी की सूचना देने वाले व्यक्ति द्वारा उक्त नम्बर का प्रयोग कर संबंधित कार्यालय को सूचित किया गया।
ततपश्चात उत्पाद टीम नवादा तथा वारिसलीगंज थाना की संयुक्त कार्यवाई के तहत तीनो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। हलांकि शिक्षक जिन्होंने पिछले महीने स्वयं का शपथ पत्र भर कर संबंधित कार्यालय में जमा कर आजीवन शराब नहीं पीने पिलाने का संकल्प लिया था। गिरफ्तारी बाद सरकारी कर्मचारियों के शपथ की सच्चाई उजागर होने लगी है।
INPUT: JNN