पांच साल पहले दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल परिसर में 3.50 करोड़ से बना उत्तर बिहार का पहला नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पारा मेडिकल, कालेज भवन बिना इस्तेमाल के ही टूट जाएगा। नया भवन बनने के बाद पांच साल तक लावारिश पड़ा रहा।
इस बीच केंद्रीय टीम ने अपने निरीक्षण में इसे अमान्य घोषित कर दिया। अब यह भवन एम्स के लिए चयनित भूखंड के अंदर आ गया है। नतीजतन बिना उपयोग के ही यह तीन मंजिली इमारत अब टूट जाएगी।
2004 में स्वीकृत हुई थी योजना
केंद्र सरकार की ओर से श्रम विकास योजना के तहत इस भवन का निर्माण की योजना 2004 में स्वीकृत हुई। अब से दस साल पहले इसका निर्माण किया गया। भवन में करीब तीन दर्जन से अधिक बड़े-बड़े ब्लाक बनाए गए। इसमें प्रयोगशाला, सेमिनार, पठन-पाठन समेत अन्य प्रकार के हाल तैयार किए गए थे। इस पारा मेडिकल कालेज में एक्स-रे टेक्नीशियन, आपरेशन थिएटर सहायक, आपथैल्मोलाजी सहायक, लैब टेक्नीशियन समेत अन्य विषयों में पढ़ाई होनी थी। इसकी स्थापना का लक्ष्य था कि उत्तर बिहार के इस बाढग़्रस्त इलाके में पारा मेडिकल के माध्यम से छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाए। ताकि, मरीजों की उपचार में बेहतर लाभ मिल सके।
नहीं बहाल की जा सकी थीं बुनियादी सुविधाएं
जब नए भवन का निर्माण कार्य पूरा किया गया तो उस वक्त भवन में किसी भी तरह की बुनियादी सुविधा नहीं बहाल की जा सकी थी। मसलन चापाकल, बिजली, सीवरेज और परिसर का घेराव आदि का इंतजाम नहीं हो सका। नतीजा निरीक्षण के वक्त इस भवन को केंद्रीय टीम ने बेकार घोषित कर दिया था।
– अब यह भवन एम्स के लिए चिह्नित जमीन की जद में है। मिट्टी भराई के क्रम में इसे तोड़ दिया जाएगा। प्राचार्य कार्यालय से जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया था। बावजूद इसके इसपर आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई थी। – डा. केएन मिश्रा प्राचार्य, दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल।
INPUT: JNN