मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के सपने को धूमिल करने में उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता लगे हैं। मामला मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड का है। मड़वन से JDU के प्रखंड अध्यक्ष प्रमोद पटेल शराब का धंधा करते हैं। शराब की खरीद-बिक्री के साथ इसका सेवन भी करते हैं। सदर A अंचल के इंस्पेक्टर राजकिशोर सिंह ने सुपरविजन रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट में उक्त बातों का खुलासा किया गया। उन्होंने केस को ट्रू करते हुए प्रमोद पटेल की अविलंब गिरफ्तारी का आदेश दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर गिरफ्तारी नहीं होती है तो कुर्की की कार्रवाई करें।
बताया गया कि 3 महीने पहले सरैया में पंचायत चुनाव था। इसमें प्रमोद पटेल की पत्नी पंसस पद पर खड़ी थी। उन्होंने जीत भी दर्ज की। उस दौरान करजा थाना के थानेदार मणिभूषण कुमार थे। उन्हें सूचना मिली थी कि प्रमोद के दरवाजे पर एक कार खड़ी है, जिसमें शराब है। उक्त शराब वोटरों को लुभाने के लिए बांटी जा रही है। इसी सूचना पर थानेदार ने टीम के साथ छापेमारी की थी। वहां से गाड़ी और शराब जब्त की गई। इस मामले में रंजीत कुमार, राजेन्द्र कुमार और राजीव को पुलिस ने बारी-बारी से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
स्वीकारोक्ति बयान में आया नाम
सुपरविजन रिपोर्ट ने लिखा गया है कि जब इन आरोपियों का स्वीकारोक्ति बयान लिया गया तो इन सभी ने बताया कि प्रमोद पटेल शराब का धंधा करते हैं। प्रतिदिन शाम होने पर शराब का सेवन भी करते हैं। पंचायत चुनाव में शराब की बड़ी खेप मंगवाई थी। वोटरों को लुभाने के लिए शराब बांटी गई थी। इतना ही नहीं वे शराब धंधेबाज़ों को संरक्षण भी देते हैं। इसी बयान के आधार पर रिपोर्ट जारी करते हुए गिरफ्तारी आदेश निकाला गया है। पहले वे अप्राथमिक अभिययुक्त थे। अब उनका नाम FIR में जोड़ा जाएगा।
पद से दिया इस्तीफा, जांच की मांग
इधर, इसका पता लगते ही प्रमोद ने अपने पद से फौरन इस्तीफा दे दिया है। आशा देवी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। भास्कर से बात करते हुए उन्होंने बताया कि करजा थानेदार मणिभूषण से उनकी पूर्व में अनबन हुई थी। इसी के प्रतिषोध में उनका नाम जबरन इसमे साजिश के तहत घसीटा गया है। जबकि सच्चाई ये नहीं है। उस दिन शराब जरूर मिली थी। लेकिन, पुलिस एक वाहन का पीछा कर रही रही। शराब धंधेबाज उनके घर के सामने ही गाड़ी लगाकर भागने लगे तो पुलिस ने पकड़ लिया था। बाद में जब FIR हुआ तो कार्रवाई की जगह में उनके घर का पता लिख दिया गया।
उन्होंने बताया, जब सम्बंध में थानेदार से बात की तो उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। पुलिस को PO दिखाना होता है। उस समय ये कहकर थानेदार ने उन्हें टरका दिया था। अब सुपरविजन में केस ट्रू कर दिया गया। इसके खिलाफ वे वरीय अधिकारियों से दोबारा जांच की मांग करते हैं। अगर वे दोषी हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। वे इसे स्वीकार करेंगे। लेकिन, एक बार दोबारा से इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
INPUT: Bhaskar