मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच दवाओं के बेअसर होने का पता लगाएगा। इसके लिए लेबोरेट्री तैयार की गई है। अस्पताल की पीआईसीयू की चौथी मंजिल पर लेबोरेट्री है। इसे आईजीआईएमएस पटना की निगरानी में संचालित किया जाएगा।
एसकेएमसीएच में लैब होमी भाभा कैंसर अनुसंधान केंद्र व अस्पताल के सौजन्य तैयार किया गया है।
एसकेएसमीएच अधीक्षक डॉ. बाबू साहब झा ने बताया कि मार्च से लैब काम करने लगेगी। एसकेएमसीएच और आईजीआईएमएस के डॉक्टर उत्तर बिहार में दवाओं के बेअसर होने की पड़ताल करेंगे। जानेंगे कि किस बीमारी में कौन सी दवा अब काम नहीं कर रही हैं। अधीक्षक ने बताया कि उत्तर बिहार में पहली बार इस तरह की लैब तैयार की गई है। दरअसल, नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने एसकेएमसीएच सहित सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिया है वे अपने यहां दवाओं के रेसिस्टेंस या बेअसर होने पर शोध कराए।
इसके लिए माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी या मेडिसिन विभाग के एक शिक्षक को नोडल बनाने का भी पत्र जारी किया है। अधीक्षक ने बताया कि इस बारे में काम किया जा रहा है। नेशनल मेडिकल कमिशन का कहना है कि दवाओं का बेअसर होना एक चिंताजनक बात है। इसपर सभी मेडिकल कॉलेजों को काम करना चाहिए। एनएमसी ने इसपर एक योजना भी तैयार की है।
इंफेक्शन में अब देनी पड़ रही अधिक पावर की दवा
एसकेएमसीएच में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आरोही ने बताया कि कई बैक्टिरियल इंफेक्शन में इलाज के लिए अब अधिक पावर की दवा देनी पड़ रही है। पहले जो दवा चलती थी, वह अब काम नहीं कर रही है। खासकर निमोनिया और यूरिन इंफेक्शन में पहले दी जाने वाली दवा की डोज बढ़ गई है। इसका कारण है कि मरीज खुद से दवा लेकर खा रहे हैं और उसकी डोज भी पूरी नहीं कर रहे हैं।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण साह ने बताया कि कई बीमारियों में एंटीबायोटिक दवा काम नहीं कर रही है। लेप्रोसी में पहले एक दवा दी जाती थी, अब तीन दवा देनी पड़ रही है। टायफायड में जो दवा पहले चलती थी, वह अब काम नहीं करती है। एंटी फंगल और एंटी बैक्टिरियल कई एंटीबायोटिक दवा का असर खत्म हुआ है। जरूरत से ज्यादा और बिना जाने एंटीबायोटिक खाने से इस तरह की स्थिति बनी है।
एसकेएमसीएच में अब जीनोम सिक्वेंसिंग भी
एसकेएमसीएच में अब जीनोम सिक्वेंसिंग भी होगी। अबतक पूरे बिहार में यह आईजीआईएमएस में होती थी। जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच से पता चल सकेगा कि कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ डीएनए या आरएनए में किस तरह के बदलाव आए हैं। कोरोना की तीसरी लहर में जीनोम सिक्वेंसिंग से ही ओमीक्रोन का पता लगाया गया। अधीक्षक ने बताया कि पीआईसीयू में बनी लेबोरेट्री में डीएनए, ब्लड कल्चर व पीसीआर की भी जांच होगी। हिस्टो पैथोलॉजी भी वहां खुल रही है। हिस्टोपैथोलॉजी खुल जाने से शरीर के टीसू में कोई बीमारी किस तरह पनप रही है इसका पता चल सकेगा। कैंसर के इलाज में इससे मदद मिलेगी। इनकी जांच के लिए मरीजों को पटना जाना पड़ता था। बाहर में इनकी जांच में दस हजार तक खर्च आता था, लेकिन एसकेएमसीएच में अब यह मुफ्त होगी।
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