आम आदमी को महंगाई का एक और झटका लगने वाला है. तेल, दाल और ईंधन के बाद अब देश में दवाएं भी महंगी होने जा रही हैं. अब बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाएगी. इसमें पैरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फिनाइटोइन सोडियम, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाजोल जैसी दवाएं शामिल हैं. कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं और स्टेरॉयड भी सूची में शामिल हैं.
दवा मूल्य नियामक एनपीपीए ने मूल्य नियंत्रण के तहत आने वाली जरूरी या अनुसूचित दवाओं की कीमतों में अधिकतम 10.7% की बढ़ोतरी की शुक्रवार को अनुमति दे दी. इससे जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत 800 से अधिक दवाओं की कीमत अप्रैल से बढ़ जाएगी.
मूल्य नियंत्रण के तहत आने वाली इन जरूरी दवाओं की कुल फार्मा बाजार में लगभग 16% हिस्सेदारी है. नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने शुक्रवार को जारी नोटिस में कहा, यह बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनुरूप है. आर्थिक सलाहकार, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के कार्यालय के डब्ल्यूपीआई आंकड़ों के मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान 2020 के मुकाबले डब्ल्यूपीआई 10.76607% बढ़ा है.
भारत की आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में आने वाली दवाइयों की सालाना बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर होती है. इन आवश्यक दवाइयों को खुदरा बिक्री के अलावा सरकार के कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इस्तेमाल किया जाता है. 1 अप्रैल 2022 से दवाओं की कीमतों में इजाफा देखने को मिलने लगेगा.
इससे पहले 7 मार्च को सरकार ने बताया कि पिछले महीने यानी फरवरी में थोक महंगाई दर 13.11 फीसदी पर रही. इस तरह फरवरी, 2022 में लगातार 11वें महीने थोक महंगाई दर दोहरे अंकों में रही. जनवरी में थोक महंगाई दर 12.96 फीसदी और दिसंबर 2021 में 13.56 फीसदी पर रही थी.
INPUT: Firstbihar