लीची को ज्यादा दिन सुरक्षित रखने व नई किस्माें के विकास का शाेध ठप, क्योंकि केंद्र में 14 में से अब सिर्फ 3 वैज्ञानिक

लीची की नई किस्माें के विकास, इसके अलग-अलग उत्पाद बनाने और इसकी मिठास लाेगाें काे ज्यादा से ज्यादा दिनाें तक मिले इसके उद्देश्य से जिले के मुशहरी में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई थी। दाे वर्ष पूर्व 14 वैज्ञानिक मिलने से यहां शाेध-अनुसंधान जाेर-शाेर से शुरू हुआ था। लेकिन, कुछ ही दिनाें बाद वैज्ञानिकाें का तबादला हाे जाने के कारण सब कुछ अवरुद्ध हाे गया।

पूरे तामझाम के साथ खुले राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से न ताे लीची की आयु बढ़ी, न किसानाें काे काेई नया नुस्खा मिल पाया। इसके विभिन्न उत्पाद बनाने व नई किस्में ईजाद करने की याेजना ताे धरी ही रह गई। अब यहां प्रभारी निदेशक समेत सिर्फ 3 वैज्ञानिक बच गए हैं। ऐसे में लीची प्रसंस्करण व शाेध कार्याें के लिए लगे विभिन्न संयंत्र भी ठप हैं। करीब 22 वर्ष पहले तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री व वर्तमान सीएम नीतीश कुमार ने मुशहरी में कृषि विभाग के फाॅर्म में इस केंद्र का शिलान्यास किया था। यह 2019 में विकसित हाे सका। यहां भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने भी कई प्लांट लगाए।

निदेशक-विशेषज्ञाें के तबादले से सीटें खाली

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से पूर्व निदेशक डाॅ. विशालनाथ, विशेषज्ञ वैज्ञानिक डाॅ. एसके पूर्वे, डाॅ. अमरेंद्र, डाॅ. कुलदीप श्रीवास्तव, डाॅ. आरके पटेल, डाॅ. एलेम्बती, डाॅ. आलाेक गुप्ता, डाॅ. इवनिंग स्टाेन मार्गाे, डाॅ. अवतार सिंह का तबादला हाे गया। डाॅ. राजेश कुमार की माैत हाे गई। अभी यहां प्रभारी निदेशक डाॅ. एसडी पांडेय, डाॅ. विनाेद व डाॅ. अभय कार्यरत हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री काे कमी से अवगत कराया

भारतीय लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह इसकी जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री तक काे दे चुके हैं। लेकिन, अब तक काेई नतीजा नहीं निकला है। अभी नए शाेध का काम ताे ठप है ही, यहां स्थापित आधा दर्जन से अधिक प्रसंस्करण यूनिट के संचालन, लीची की नई किस्मों के विकास व विदेशों से लाए गए किस्मों से पाैधा तैयार करने का काम भी पूरी तरह बाधित है। बल्कि, किसानों काे तकनीकी जानकारी भी नहीं मिल पा रही है।

लीची के लिए बनी थीं बड़ी-बड़ी याेजनाएं

  • लीची प्रसंस्करण व फल का संरक्षण
  • लीची से वाइन बनाना
  • लीची प्रोसेस कर जूस बनाना
  • लीची हनी तैयार करना जिसकी काफी मांग थी
  • लीची सुरक्षित रखने काे सल्फाइटेशन यूनिट
  • नई किस्में तैयार करने काे ग्रीन व पाॅली हाउस
  • लीची नट उत्पादन समेत कई अन्य यूनिट।
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