मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। यह स्मार्ट सिटी है। यहां की रफ्तार रेंगती है। मिनटों की दूरी घंटों में तय करना नियति बन चुकी है। यहां हर दिन जाम मिलेगा। जाम ही इस शहर की पहचान बन गई है।
गंतव्य पर समय से पहुंचना है तो कम से कम घंटा दो घंटा पहले निकलें। भले ही दूरी चंद मिनटों की हो, क्योंकि शहर की सड़कों पर चलने की जगह आपको सरकना पड़ेगा। जाम से मुक्ति दिलाने की पहल साल दर साल होती आ रही है, लेकिन तमाम प्रयास विफल साबित रहे हैं। प्रशासन ने कई बार यातायात की नई व्यवस्था की शुरुआत की। वन-वे लागू किया गया। चौक-चौराहों एवं गलियों के मोड़ पर जवान खड़े किए गए। डिवाइडर बनवाए गए, लेकिन असली कारणों की अनदेखी कर दी गई। परिणाम समस्या जस की तस है।
ये हैं जाम बढ़ाने में सहायक :
-शहर की मुख्य सड़कों से लेकर चौक-चौराहे अतिक्रमणकारियों के कब्जे में।
-पार्किंग स्थलों के अभाव में सड़क पर खड़े किए जाते हंै वाहन।
-यातायात नियंत्रण के लिए बने कानून का नहीं हो रहा सख्ती से पालन।
-सड़क पर खड़े बेकार टेलीफोन के खंभे।
-बीच रोड पर गड़े विद्युत पोल।
-सड़क किनारे एवं बीच में लगीं स्ट्रीट लाइट।
-यातायात नियंत्रण के लिए बने ट्रैफिक पोस्ट फल एवं फूल की दुकानों में तब्दील।
-नो इंट्री के बावजूद शहर में भारी वाहनों का प्रवेश।
-सड़क किनारे बेतरतीब तरीके से लगे होर्डिंग्स।
-सड़क पर डाला गया घरों का मलबा।
-सड़क पर की जा रही कचरे की डंपिंग।
-भीड़ के समय बीच सड़क सफाई वाहन खड़े कर कचरे का उठाव।
-निर्माण के नाम पर बेतरतीब खोदी गई सड़कें एवं नाले।
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कागज पर पार्किंग स्थल, सड़क पर वाहन :
शहर में वाहनों को खड़ी करने के लिए कई बार पार्किंग स्थलों का कागज पर निर्धारण हुआ, लेकिन निर्माण नहीं हुआ। हरिसभा चौक, पुरानी बाजार नाका, पक्की सराय चौक, डीएन हाईस्कूल अहाता, जिला स्कूल, अघोरिया बाजार से रामदयालु रोड में स्टेट बैंक, जेनिथ पेट्रोल पंप, सदर थाना, छाता बाजार गोलंबर, बीबी कालेजिएट, भगवानपुर चौक, गोबरसही, पशुपालन विभाग के पास पड़ाव बनाने को स्थान चिह्नित किए गए, जो कागज पर ही रह गए। ———————
सिमट रहीं है सड़कें, बढ़ रहे वाहन
शहर की आबादी बढ़ रही है। बड़े-बड़े माल-मार्केट तथा अपार्टमेंट बन रहे हैं। वाहनों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। शहर की सड़कों पर एक लाख से अधिक दोपहिया एवं 25 हजार से अधिक थ्री व फोर व्हीलर एवं पांच हजार से अधिक रिक्शा समेत प्रतिदिन पांच से सात लाख लोगों का दबाव है। अतिक्रमणकारियों एवं अवैध वाहन पार्किंग के कारण सड़कों की चौड़ाई लगातार घट रही है। ऐसे में सड़कों पर वाहन दौडऩे की जगह सरकते रहते हैं।
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जाम से जेब पर भी हमला
मुजफ्फरपुर : जाम ने कई समस्याएं खड़ी की हैं। जेब ढीली करने के अलावा यह लोगों की सेहत पर भी ग्रहण लगा रहा है।
इस प्रकार बढ़ जाता है खर्च :
-जाम के कारण लोग रूट बदलकर सफर करते हैं। ऐसे में किराया अधिक खर्च करना पड़ता है।
-टू-व्हीलर या फोर व्हीलर भी जब दूसरे रास्तों से मंजिल तक पहुंचते है तो पेट्रोल की खपत बढ़ जाती है।
-जाम में लंबे समय तक इंजन स्टार्ट रहने से भी पेट्रोल और डीजल खर्च बढ़ जाता है।
-जाम में वाहन के क्लच व ब्रेक का इस्तेमाल ज्यादा होता है। क्लच प्लेट जलने का खतरा रहता है।
– एक्सीलेटर व ब्रेक का इस्तेमाल ज्यादा होने से ईंधन की खपत बढ़ जाती है।
– जाम में लगातार फंसने वाले वाहनों का मोबिल आयल भी जल्द जल जाता है।
जाम से बीमार हो रहे सब :
जाम इंसान के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदेह है। यह कई तरह से सेहत को प्रभावित करता है।
-यदि हर रोज आज जाम में फंस रहे हों तो एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है।
-शरीर में हार्मोन का उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे घबराहट बढ़ सकती है।
-चक्कर आ सकता है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
-हाइपर टेंशन से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है और बेहोशी आ सकती है।
– पुरानी एलर्जी की बीमारी फिर से उखड़ सकती है।
– जाम में धुआं ज्यादा होता है, इसलिए सांस की बीमारी हो सकती है।
-आप लंबे समय तक धूप में खड़े रहते हैं तो डिहाइड्रेशन, बुखार हो सकता है।
-घबराहट बढऩे से सीने में दर्द भी हो सकता है।
– गंभीर मरीज लंबे समय तक जाम में फंस जाए तो उसकी मौत भी हो सकती है।
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ये हैं निदान :
-जगह-जगह वाहन पार्किंग स्पाट का निर्माण हो।
-सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करना होगा।
-खराब सड़कों की मरम्मत करनी होगी।
-यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करनी होगी।
-स्कूल, आफिस टाइम में विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
-यातायात कानून को कठोरता से लागू करना होगा।
-मुख्य सड़क पर जमीन छोड़ दुकान एवं मकान बनाने होंगे।