PMO को भाया प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाने वाला मुजफ्फरपुर का स्टार्टअप, रोजाना होता है 300 लीटर डीजल का उत्पादन

प्लास्टिक कचरे से डीजल-पेट्रोल बनाने के लिए मुजफ्फरपुर के स्टार्टअप को प्रधानमंत्री कार्यालय ने पसंद किया है। इस तकनीक को अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्तर पर देश भर में विस्तारित किया जा सकता है।

इस संबंध में पीएमओ की पहल पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुढ़नी के खरौनाडीह गांव में स्टार्टअप शुरू करने वाले शहर के दामुचक निवासी आशुतोष मंगलम को पत्र लिखा है।

पत्र में बोर्ड के अधिकारी ने प्लास्टिक कचरे से डीजल-पेट्रोल बनाने वाली तकनीक को साझा करने का सुझाव दिया गया है। बोर्ड अपने स्तर से प्लास्टिक कचरे से डीजल-पेट्रोल बनाने की तकनीक का परीक्षण करेगा। परीक्षण के बाद इस तकनीक को मुजफ्फरपुर व अन्य आकांक्षी जिलों में कार्यान्वित करने की तैयारी चल रही है। साथ ही इस स्टार्टअप की समीक्षा 25 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर की जाएगी।

आशुतोष मंगलम ने बताया कि फिलहाल नगर निगम से प्लास्टिक कचरा ले रहे हैं। अब स्कूल व घरों से प्लास्टिक कचरा खरीदने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर से सुझाव दिया गया है। प्रतिकिलो प्लास्टिक कचरे के लिए छह रुपये भुगतान किया जाएगा। इस संबंध में जिला उद्योग केंद्र के जीएम वीके मल्लिक ने बताया कि यह स्टार्टअप जिले के लिए गौरव है। उद्योग विभाग की ओर से स्टार्टअप स्थापना में मदद की गई है। इसे प्रोत्साहित करने के लिए तैयारी की जा रही है।

रोजाना तीन सौ लीटर डीजल का उत्पादन

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत खरौनाडीह में चल रहे प्लांट में फिलहाल रोजाना तीन सौ लीटर डीजल का उत्पाद हो रहा है। यहां पर बाजार से कम कीमत पर किसानों को डीजल उपलब्ध कराया जा रहा है। आशुतोष मंगलम ने बताया कि 82 रुपये लीटर डीजल किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं। उनके पास पेट्रोल बनाने की भी तकनीक है, लेकिन पेट्रोल बनाने के लिए संबंधित विभाग से लाइसेंस नहीं मिला है। डीजल आपूर्ति के लिए नगर निगम प्रशासन से भी बातचीत की गई है। समाज सुधार यात्रा के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने भी स्टार्टअप को काफी सराहा था।

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