BRABU (बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय) के रजिस्ट्रार का फर्जी वेबसाइट बनाकर नौकरी के लिए वेकैंसी निकालने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर को विश्वविद्यालय थाना की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी आशीष विवेक काजीमोहम्मदपुर थाना के पंखा टोली का रहने वाला है। पूछताछ कर उसे जेल भेजने की कवायद की जा रही है। उसने पुलिस पूछताछ में सॉफ्टवेयर बनाने की बात स्वीकार की है। बताया कि वर्ष 2020 में विक्रम और मनीष ने उनसे सॉफ्टवेयर बनवाने के लिए संपर्क किया था।
विक्रम उस समय रजिस्ट्रार के ऑफिस में रेगुलर पद पर कार्यरत था और मनीष LNT कॉलेज में स्टाफ था। इन्हीं के कहने पर उसने फर्जी वेबसाइट बनाकर दिया था। जिसपर 3000 पदों पर वेकैंसी निकाली गई थी। इसके लिए उसे 50 हजार रुपये भी दिए थे। थानेदार रामनाथ प्रसाद ने बताया कि विक्रम और मनीष को इसी महीने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। उनदोनों ने पूछताछ में आशीष विवेक का नाम बताया था।
आधार कार्ड पर फर्जी पता
थानेदार ने बताया कि आशीष का नाम सामने आते ही उसने अपना एक मोबाइल नम्बर बन्द कर दिया। उसका दूसरा नम्बर चालू था। उस नम्बर का पुलिस ने लोकेशन खंगालना शुरू किया। उसे ट्रेस करते हुए LS कॉलेज के समीप से पकड़ा गया। उसके आधार कार्ड पर भी फर्जी पता है। पकड़ाने के बाद उसने अपनी संलिप्तता स्वीकार की।
जयपुर से कर रखा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई
आरोपी ने बताया कि 2015 में जयपुर के एक कॉलेज से उसने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद एक चर्चित कंपनी में काम करने लगा। लेकिन, पिता की तबियत खराब होने के बाद मुजफ्फरपुर आ गया। 2018 से यही पर रहता है और विभिन्न सकूल, कॉलेजों के लिए सॉफ्टवेयर बनाकर देता था। इसी दौरान उससे विक्रम और मनीष ने सम्पर्क किया था।
यह था मामला
थानेदार ने बताया कि 2020 में BRABU के रजिस्ट्रार का फर्जी वेबसाइट बनाकर 3000 पदों पर वेकैंसी निकाल दी गयी थी। करीब 2000 छात्रों ने अप्लाई भी कर दिया था। जब कुछ छात्र इसका पता लगाने रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचे। तब पता लगा कि मामला पूरी तरह से फर्जी है। तत्कालीन रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार ने FIR दर्ज कराया। पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया। IP एड्रेस समेत अन्य वैज्ञानिक तरीके से जांच शुरू हुई। जिसमें विक्रम और मनीष का नाम सामने आया था। जिसके बाद उनदोनों की गिरफ्तारी हुई।