Muzaffarpur Smart City के नालों में कई जगह गड़बड़ी, 42 किमी सड़कों की मरम्मत भी घटिया

स्मार्ट सिटी के अबतक के काम की जांच कर आईआईटी की टीम शनिवार को वापस लौट गई। लौटने से पहले नगर निगम कार्यालय में टीम ने स्मार्ट सिटी के एमडी सह नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय से मुलाकात।

टीम ने जांच में मिली गड़बड़ियों से एमडी को अवगत कराया और सुधार के सुझाव दिए। बताया कि निर्माण के समय इंजीनियर मौजूद रहे। उनके नहीं रहने के कारण ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम कराये। टीम ने घटिया बने नालों को तोड़कर फिर से बनवाने के लिए कहा है। पांच जगहों पर हुए काम को टीम ने खारिज कर दिया है। टीम 15 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपेगी। आईआईटी की जांच रिपोर्ट को स्मार्ट सिटी प्रशासन सार्वजनिक करेगी।

टीम ने एमडी को बताया है कि ढलाई में कई जगहों पर शटरिंग खिसक जाने के कारण बीच में रहने वाली छड़ नाले की दीवार किनारे आ गई। इससे सारा ढलाई एक तरफ हो गया और छड़ किनारे में आ गई। ऐसे बने नाले कभी भी गिर जाएंगे। इसे तोड़कर फिर से बनाने होंगे। छड़ों की सभी ज्वाइंड एक जगह बांधकर ढलाई कर दी गई। नाले के स्लैब का ऐसे निर्माण वाले भाग पर गाड़ियां चल जाएं तो ध्वस्त हो जाएंगी। मल्टी पर्पस स्पोर्ट स्टेडियम के काम में भी ठेकेदार ने वेवरेटर ठीक नहीं चलाया। इससे ढलाई के बाद शटरिंग खोली गई तो कई जगहों पर सरिया खुला ही रह गया। ढलाई के बाद दिख रहे सरिया को ढंकने के लिए सीमेंट के घोल का प्लास्टर किया गया था। इसे भी आईआईटी की टीम ने तोड़कर बनाने के लिए कहा है।

दोबारा बनाने में करोड़ों होंगे खर्च

आईआईटी की टीम ने शनिवार को सीवरेज और जंक्शन इम्प्रूवमेंट के कार्य की जांच की। इसमें भी टीम ने सवाल उठाए। सीवरेज पाइप लाइन के लिए करीब 42 किमी. में कंक्रीट रोड को शहर में काटा गया, लेकिन उसकी मरम्मत का काम घटिया हुआ है। मरम्मत के लिए की गई ढलाई पर पानी छिड़काव सही से नहीं हुआ जिससे रोड में मरम्मत वाला भाग सेट नहीं किया। अब उस भाग में गिट्टी उखड़ रही है। इस तरह शहर में पाइप लाइन के लिए काटे गये 42 किमी. रोड तय समय से पहले ही टूट जाएंगे। इसे दोबारा बनाने में करोड़ रुपये खर्च हो जाएंगे। आईआईटी की टीम ने सबसे घटिया और बेतरतीब स्मार्ट सिटी के नाले को बताया है। टेढे-मेढे बने नालों से पानी निकासी बाधित होगी। कंटूर सर्वे रिपोर्ट पर भी नाले की कसौटी को आईआईटी तौलेगी। देखा जाएगा कि बनाए गए नाले का बहाव किधर दिया गया है और उस ओर पानी निकासी होगी या नहीं।

स्मार्ट सिटी का काम बेहतर और गुणवत्तापूर्ण हो, इसलिए आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थान से त्रिपक्षीय जांच कराई जा रही है। टीम ने मौखिक रूप से कई जगह निर्माण पर आपत्ति की और सुझाव भी दिये हैं। टीम की रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर में आएगी। रिपोर्ट को सार्वजनिक करेंगे ताकि सारे लोग जानें कि कहां क्या बदलाव होगा। यदि जहां भी निर्माण को घटिया बताकर तोड़ने का सुझाव जांच रिपोर्ट में होगा, उसे तोड़कर फिर से बनवाएंगे।

– विवेक रंजन मैत्रेय, एमडी स्मार्ट सिटी

पहले ही बताया था घटिया काम, राशि की हो रही लूट : मेयर

आईआईटी की टीम स्मार्ट सिटी के कामों की जांच कर लौट गई। टीम की जांच में निर्माण पर सवाल उठाये जाने को लेकर मेयर राकेश कुमार ने कहा है कि वह शुरू से ही कह रहे हैं कि घटिया काम हो रहा है। जैसे-तैसे निर्माण कराकर राशि की लूट की जा रही है। बेतरतीब और घटिया काम के कारण ही स्मार्ट सिटी के निदेशक से इस्तीफा दिया था। अब काम की जांच हुई तो सारी बातें खुलकर आ गईं। बड़ी कंपनियों का ऐसा काम नहीं होता है। यहां कंपनी पर इंजीनियर और अधिकारी मेहरबान बने रहे। जिन नालों को तोड़ा गया, उससे भी घटिया काम स्मार्ट सिटी में हुआ है। तिलक मैदान रोड का नाला पहले ठीक था। उसे तोड़ दिया गया। स्मार्ट सिटी से जो नाला बनाया गया है, वह पहले वाले से घटिया है। यही हाल मोतीझील का है। मेयर ने कहा कि आईआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद सुधार नहीं हुए तो शहर स्मार्ट होने के बजाय और खराब हो जाएगा।

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