स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी परेशानी, मुजफ्फरपुर जिले के 1200 लोगों में फेफड़े की टीबी के लक्षण

जिले में टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले 1200 लोगों में फेफड़े की टीबी के लक्षण मिले हैं। हालांकि, संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए इन सभी लोगों को दवा की डोज देने का काम शुरू कर दिया गया है। सभी चिह्नित लोगों को अगले 6 माह तक लगातार आइसाेनियाजिड दवा की एक गाेली खिलाई जाएगी। लेकिन, 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन में जुटे स्वास्थ्य विभाग की चिंता इससे बढ़ गई है।

क्योंकि, यह संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट प्राेग्राम के तहत जिला यक्ष्मा केंद्र में टीबी इंटरफेराॅन गामा रिलीज यानी टीबी इग्रा टेस्ट उन लाेगाें का हाे रहा है, जाे लगातार टीबी मरीजाें के संपर्क में हैं। बिहार में सबसे पहले मुजफ्फरपुर में इस प्राेग्राम के तहत टीबी संक्रमिताें के संपर्क में आने वाले लाेगाें की पहचान कर उन्हें आईएनएच दवा खिलाने का काम शुरू किया गया है। जिले में 4000 टीबी मरीज, जिनमें 1900 मरीज फेफड़े की टीबी से संक्रमित | टीबी मरीजाें की देखभाल के लिए जिला यक्ष्मा विभाग के अलावा निजी संस्था वर्ल्ड विजन का सहयाेग लिया जा रहा है। इसके सहयाेग से सभी प्रकार के टीबी मरीजों के परिवार के सदस्याें काे चिह्नित किया जा रहा है। जिले में कुल 4000 टीबी मरीज हैं। जिनमें 1900 मरीज फेफड़े की टीबी से ग्रसित हैं।

जांच में इन मरीजाें के संपर्क में आने वाले उनके परिवार के 1200 सदस्याें में भी फेफड़े की टीबी के लक्षण मिले हैं। इसके बाद इन सभी काे जिला लाकर इग्रा टेस्ट, एक्स-रे आदि कराया गया। चिकित्सक ने जांच रिपाेर्ट देखने पर सभी 1200 लाेगाें में फेफड़े की टीबी के लक्षण बताए।टीबी मरीजाें का 44 लाख भरण-पाेषण भत्ता बकाया | जिले के टीबी मरीजाें का करीब 44 लाख रुपया भरण-पाेषण भत्ता एक वर्ष से बकाया है। टीबी मरीजों को भत्ता के रूप में प्रतिमाह 500 रुपए मिलता है। लेकिन, एक वर्ष से भरण-पोषण भत्ता नहीं मिल रहा है।

2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन का लक्ष्य
जिला यक्ष्मा केंद्र के प्रभारी डाॅ. उपेंद्र चाैधरी ने कहा कि पूरे देश से 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन का लक्ष्य है। इसकाे लेकर जिले में टीबी मरीजाें का लगातार फाॅलाेअप हाे रहा है। घर-घर जाकर मरीजाें काे दवा खिलाने का काम किया जा रहा है। फेफड़े की टीबी से संक्रमित मरीजाें के संपर्क में अाने वाले लाेगाें काे चिह्नित किया जा रहा है। मरीजाें के घर जाकर उनके सदस्याें की हिस्ट्री लेकर एक्स-रे समेत अन्य जांच करा रहे हैं। इसके बाद आईएनएच दवा खिलाई जा रही है।

 

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