मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर मन की 100 एकड़ जमीन चोरी, केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाएगी जांच, 200 से अधिक अतिक्रमणकारी चिह्नित

स्मार्ट सिटी से सिकंदरपुर मन के सौंदर्यीकरण को लेकर जमीन की मापी शुरू होने से मन किनारे हलचल मच गई है। योगिया मठ से जूरन छपरा-दाउदपुर कोठी तक दो सौ अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया गया है। प्रशासन का मानना है कि सिकंदरपुर मन की करीब 15 अरब की संपत्ति अंचलाधिकारी व अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से रिवीजनल सर्वे में नाम चढ़वा लिया गया है।

यह केवल अतिक्रमण का मामला नहीं है। एक तरह से यह 100 एकड़ जमीन की चोरी है। अब पूरे इलाके की विस्तृत मापी कराने के बाद सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। बिहार सरकार केंद्रीय एजेंसी से इसकी जांच कराने की तैयारी में है। 270 करोड़ की लागत से सिकंदरपुर मन का सौंदर्यीकरण होना है। इस इलाके में जलजमाव की समस्या से निजात के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना है।

स्मार्ट सिटी को एनओसी देने के पहले सिकंदरपुर मन इलाके की मापी के लिए डीसीएलआर पूर्वी के नेतृत्व में 11 सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ है। अमीन द्वारा मापी शुरू कर दी गई है। एक सप्ताह में मन की मापी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी। जिला प्रशासन के अधिकारी का कहना है कि बीच शहर में 216 एकड़ के सिकंदरपुर मन की जमीन में 90 से 100 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है।

योगियामठ के वार्ड पार्षद समेत 40 लोग चिह्नित, मकान मन से सटा हुआ है

सिकंदरपुर मन की मापी योगिया मठ से शुरू की गई है। योगिया मठ के बाद गफूर बस्ती, धोबी घाट, जूरन छपरा रोड नंबर-1 से रोड नंबर-5 के पीछे तक अतिक्रमण मिला है। योगिया मठ में निवर्तमान वार्ड पार्षद (11 नंबर) प्रमिला देवी के साथ 40 लोगों को चिह्नित किया गया है। इनका मकान मन से ठीक सटा हुआ है। पार्षद का कहना है कि मेरा घर मन से सटा हुआ है, लेकिन वह मन की जमीन नहीं है।

करीब 200 साल पहले दलित बस्ती के लोगों को जमींदार मेहंदी हसन के खानदान द्वारा दी गई थी। 93-94 में हम लोगों को सरकार से लोन भी मिला हुआ है। निगम अमीन संजय कुमार को इधर मापी नहीं करनी चाहिए। मापी के लिए एडीएम द्वारा गठित टीम में शामिल एक प्रशासनिक सूत्र का कहना है कि योगिया मठ ज्यादातर सरकारी जमीन में है। गफूर बस्ती में 14 झोपड़ी सिकंदर मन की जमीन में है। योगिया मठ के उपेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से बिहार सरकार की जमीन की खरीद-बिक्री हो रही है। हम हाईकोर्ट में मुकदमा किए हैं, जिसकी सुनवाई चल रही है। ऐसी स्थिति में योगिया मठ में मापी नहीं होनी चाहिए।

15 अरब की संपत्ति पर कब्जा, 216 एकड़ का मन 120 एकड़ में सिकुड़ा

जूरन छपरा में डॉक्टर से लेकर खटाल संचालक ने किया अतिक्रमण
जूरन छपरा में डॉक्टर, प्रोफेसर से लेकर खटाल मालिक तक चिह्नित किए गए हैं। जूरन छपरा रोड नंबर-1 के अंतिम हिस्से पर मन किनारे जगन्नाथ राय 5 कट्ठा जमीन पर खटाल और पार्किंग चला रहे हैं। इनका कहना है कि मेहंदी हसन से हमारे पिता ने जमीन ली थी। कोर्ट में यह मामला चल रहा है। बेवजह हमको अतिक्रमणकारी बताया जा रहा है।

मन के पीछे एक बड़े हॉस्पिटल का पिछला हिस्सा भी मन की जमीन में चिह्नित किया गया है। सर्वे के दौरान हॉस्पिटल अपने नाम पर उसको चढ़वा लिया गया है। जूरन छपरा की गलियों के साथ कीला बांध, निषाद पथ से लेकर दाउदपुर कोठी तक मापी हुई है।

सिकंदरपुर मन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। तकरीबन 100 एकड़ जमीन पर कब्जा है। कमेटी गठित कर मापी कराई जा रही है। यह नहीं बचा तो शहर को पानी की किल्लत झेलनी होगी।

राजेश कुमार, अपर समाहर्ता, राजस्व

 

साभार: दैनिक भास्कर

 

 

 

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