2 साल बाद सजा बाबा बैद्यनाथ का दरबार, 28 मिनट हुई सरदारी पूजा, बाबा से उपासना की ली गई अनुमति

भगवान शिव को प्रिय सावन का आज पहला दिन है। देवघर के बाबा वैद्यनाथ मंदिर में पहले दिन की पहली पूजा 55 मिनट तक हुई है। सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर बाबा का पट खुलते ही काचा जल चढ़ाया गया। पंडा समाज के द्वारा काचा जल चढ़ाकर बाबा को ठंडा करने की परम्परा है। बाबा को काचा जल चढ़ाकर उनसे पूजा अर्चना के लिए अनुमति ली जाती है, इसके बाद ही बाबा की सरदारी पूजा की जाती है।

सावन के पहले दिन बाबा को चंदन के लेप के साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्पों के साथ बेलपत्र अर्पित किया गया। 28 मिनट तक चली सावन की पहली सरदारी पूजा में बाबा की विधिवत मंत्रोच्चार के साथ उपासना की गई। आम भक्तों की पूजा सुबह 4 बजे से शुरू हुई है।

मंत्राें के साथ खोला जाता है बाबा का पट

देवघर के अनुराग पंडा बताते हैं कि बाबा का पट मंत्रों के साथ खोला जाता है। मंत्रोचार के साथ बाबा को पट खोलने के साथ जगाया जाता है। इसके बाद बाबा को काचा जल यानी सादा जल से अभिषेक कराया जाता है। पंडा समाज के लोग काचा जल चढ़ाकर बाबा को ठंडा करते हैं, बाबा से पूजा उपासना की अनुमित लेते हैं। इसके बाद बाबा की सरदारी पूजा होती है। सरदारी पूजा में बाबा को पहले चंदन और सुगंधित तेल का लेप किया जाता है। इसके बाद पुष्प और बेलपत्र के साथ बाबा के पसंद की सामग्री चढ़ाई जाती है। इसमें दूध दही पंचामृत के साथ अन्य सामग्रियां होती हैं। सरदारी पूजा का नियम है कि बाबा को चढ़ाई जाने वाली हर सामग्री विधिवत चांदी के पात्र में लाई जाती है और विधि विधान से उनपर चढ़ाया जाता है।

55 मिनट की पूजा के बाद ही किसी का प्रवेश

बाबा की सरदारी पूजा तो हर दिन होती है, हर दिन का समय भी फिक्स होता है। इसमें 55 मिनट ही लगता है। बाबा के पट खुलने का समय भी पहले से निश्चित रहता है। पट भी बाबा के खास पुजारी द्वारा खोला जाता है। यह परम्परा सदियों से चलती चली आ रही है। बाबा के प्रमुख पुजारी बाबा का विधिवत पूजा जब तक नहीं कर लेते हैं, तब तक मंदिर में आम लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता है। बाबा की उपासना के लिए पहले से ही पूरी तैयारी कर ली जाती है। रात में दो बजे से ही बाबा की सामग्री की व्यवस्था कर ली जाती है। चांदी की बड़ी थाल में सभी सामग्रियों को सजाकर रखा जाता है और फिर एक एक सामग्री बाबा को अर्पित किया जाता है। बाबा बैद्यनाथ की सरदारी पूजा काफी खास होती है। सरदारी पूजा के बाद ही आम भक्तों की उपासना के लिए बाबा से अनुमति मांगी जाती है। इसके बाद श्रद्धालुओं को जलाभिषेक की अनुमति होती है।

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