जिला परिवहन कार्यालय में अक्टूबर 2019 से अबतक छह हजार से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के आवेदन लंबित पड़े हैं। इसकी सूचना पर डीएम ने गुरुवार को कार्यालय का निरीक्षण किया।
उन्होंने अलग-अलग काउंटर पर खड़े ग्राहकों से उनकी परेशानी पूछी। अधिकारी व कर्मियों से भी कार्यों का लेखा-जोखा लिया।
कतार में सबसे आगे खड़े आशीष कुमार ने डीएम को बताया कि अगस्त 2021 में उसका लर्निंग लाइसेंस बन गया था। दिसंबर 2021 में ओरिजनल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। तब से अबतक वह कई बार कार्यालय के चक्कर लगा चुका है। इसपर डीएम ने वहां मौजूद अधिकारियों को फटकार लगाई और लेटलतीफी का कारण पूछा। डीएम ने एक और आवेदक रंजीत सिंह से जानकारी ली। उसने बताया कि उनकी गाड़ी का ऑनर बुक खो गया था। 14 फरवरी 2022 को एफआईआर कराई और 17 फरवरी को ऑनर बुक के लिए आवेदन किया। तब से कई बार ऑफिस का चक्कर लगा चुका है, लेकिन काम नहीं हो पाया। इसपर डीएम ने वहां मौजूद अधिकारियों को लिखित में कारण बताने का आदेश दिया।
केएमएस के कारण लटके आवेदन
जिला परिवहन पदाधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि मार्च 2022 में डीएल और आरसी बनाने के लिए नया सॉफटवेयर लगाया गया है। आरसी में समस्या नहीं आती है, पर डीएल के जनवरी 2022 के पहले के मामलों में तकनीकी गड़बड़ी आ जाती है। इसके कारण केएमएस (की मैनेजमेंट सिस्टम) नहीं हो पाता है। केएमएस नहीं होने पर लाइसेंस कार्ड प्रिंट होने के बाद भी उसका ऑनलाइन वेरिफिकेशन नहीं किया जा सकता है जिससे वह डीएल वैध नहीं माना जाएगा।
डुप्लीकेट डीएल व रिन्युअल के मामले अधिक
डीटीओ ने बताया कि पहले करीब 10 हजार डीएल के आवेदन पेंडिंग थे। उनकी तरफ से एनआईसी, पटना को केएमएस अपडेट नहीं लेने वाले मामलों को भेजा जाता रहा है। कुछ मामले ठीक भी हुए, पर अब भी करीब छह हजार आवेदन फंसे हैं। इनमें डुप्लीकेट डीएल और रिन्युअल के मामले अधिक हैं।
सूचना मिली थी कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काफी काम लंबित है। निरीक्षण में विभागीय अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के बाद से पुराने मामलों में समस्या आ रही है। इस समस्या को ठीक करने का निर्देश दिया गया है।
-प्रणव कुमार, डीएम