मुजफ्फरपुर. बीआरए बिहार विवि ने यूजीसी के पैसे का हिसाब नहीं देने वाले 10 अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है. इन कॉलेजों ने 11वीं और 12वीं योजना की राशि खर्च कर दी, लेकिन उपयोगिता का प्रमाणपत्र अब तक जमा नहीं किया है. यूजीसी के कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी काॅलेजों ने संज्ञान नहीं लिया. राज्य के 325 संस्थानों पर 1048 करोड़ बकाया है, जिसमें बिहार विवि के कॉलेजों को दिये गये 67.88 करोड़ भी शामिल हैं. कहा गया है कि दो दिनों में जवाब नहीं देने वाले कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कोर्ट को सूचना दी जायेगी.
पटना हाकोर्ट ने चार अगस्त को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने वाले काॅलेजों पर शिकंजा कसने का आदेश जारी किया गया है, जिसके बाद बिहार विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा है. उच्च न्यायालय का स्पष्ट कहा है कि यदि 18 अगस्त तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले संस्थानों के खिलाफ विश्वविद्यालय स्तर से कार्रवाई नहीं की गयी, तो उन संस्थानों को दी गयी राशि की वसूली कुलपति के वेतन से की जायेगी. इसके साथ ही कुलपति को न्यायालय में उपस्थित होकर इसकी जानकारी देनी होगी.
विवि के अधिकारियों का कहना है कि कई काॅलेजों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भेज दिया है, फिर भी उन काॅलेजों का नाम पेंडिंग की सूची में है. वहीं, सोमवार को कुलसचिव डाॅ आरके ठाकुर ने विवि से संबद्ध 10 काॅलेजों को पत्र भेज स्पष्टीकरण मांगा है. कुलसचिव ने कहा है कि 22 जुलाई को विवि में बैठक कर सभी काॅलेजों को खर्च की गयी या लौटायी गयी राशि का प्रमाणपत्र विवि को उपलब्ध कराने काे कहा गया था, इसके बाद भी 10 काॅलेजों ने प्रमाणपत्र जमा नहीं किया है.
कॉलेजों में होगी लेखा पदाधिकारी की नियुक्ति
कॉलेजों की वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए विभाग ने लेखा पदाधिकारी की नियुक्ति का निर्णय लिया है. पटना हाईकोर्ट में चल रहे पीआइएल का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यूजीसी द्वारा आपराधिक मामला दर्ज कराने की स्थिति आ गयी है. अधिकतर महाविद्यालयों सुयोग्य लेखा पदाधिकारी नहीं होने के कारण उनका वित्तीय लेखा-जोखा सही ढंग से संधारित नहीं हो पाता है. इसके कारण से महाविद्यालयों में विभिन्न मद से प्राप्त राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र सही ढंग से समय पर नहीं भेजा जाता है. विभाग की ओर से कहा गया है कि वित्तीय लेखा संधारित करने के लिए लेखा पदाधिकारी का पद स्वीकृत किया जा रहा है. तब तक तत्काल आवश्यकता पूरी करने के लिए आउटसोर्सिंग से किसी चार्टर्ड एकाउंटेंसी फर्म को भी रखने पर विचार किया जा सकता है.
इन कालेजों ने नहीं दिया उपयोगिता प्रमाण पत्र
- अक्षयवट काॅलेज महुआ, वैशाली
- डॉ जगन्नाथ मिश्रा काॅलेज, मुजफ्फरपुर
- डाॅ राम मनोहर लोहिया काॅलेज, मुजफ्फरपुर
- केसीटीसी काॅलेज, रक्सौल
- एलएन मिश्रा काॅलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, मुजफ्फरपुर
- एमएसकेजी काॅलेज, अरेराज
- पंडित उगम पांडेय काॅलेज, मोतिहारी
- आरएसएस महिला काॅलेज, सीतामढ़ी
- एसआरपीएस काॅलेज, जैंतपुर
- एसकेजे लाॅ काॅलेज, मुजफ्फरपुर