मुजफ्फरपुर में NH से शहर तक हर दिन घंटों फंसते वाहन, शहर के प्रवेश द्वाराें पर ही अतिक्रमण है बड़ा कारण

सालभर जाम से परेशान रहनेवाले मुजफ्फरपुर शहरवासियाें की परेशानी पर्व-त्याेहाराें की शुरुआत के साथ और बढ़ गई है। एक ताे शहर की सड़काें पर हमेशा चाैड़ाई के अनुपात में कई गुना अधिक वाहनाें का लाेड रहता है। दूसरा जगह-जगह सड़काें पर दाे-दाे तिहाई तक अतिक्रमण के कारण वाहनों काे निकलने के लिए रास्ता नहीं मिलता। इन सबके बीच स्मार्ट सिटी और अन्य याेजनाओं से

राेड-नाला निर्माण के लिए जगह-जगह खाेदकर छोड़े गए गड्ढे काेढ़ में खाज बने हुए हैं।

 इधर, पर्व-त्याेहाराें काे लेकर शहर के थाेक बाजाराें में दूसरे जिलाें के खरीदाराें का आना-जाना भी बढ़ गया है। एेसे में आम दिनाें में भी जाम से जूझनेवाले डाॅक्टर, अधिकारी, शिक्षक, कर्मी और स्कूली बच्चाें समेत हर आम-खास के लिए समय से अपने गंतव्य तक पहुंचना मुश्किल हाे गया है। अन्य गाड़ियाें के साथ-साथ बच्चाें की स्कूल बसें व इमरजेंसी मरीज काे अस्पताल ले जानेवाले एंबुलेंस भी घंटाें फंसे रहते हैं। अतिक्रमण किए लोग व सड़क पर वाहन खड़े कर पैसेंजर उठानेवाले चालक हॉर्न व सायरन की आवाज भी नहीं सुनते।

जीरोमाइल : आधी-आधी सड़क और डिवाइडर पर भी सजतीं दुकानें और उसके लिए वसूला जाता है किराया

शहर के प्रवेश द्वार जीरोमाइल काे लाइफलाइन भी कहते हैं। यहां से एसकेएमसीएच, प्रखंडाें समेत कई जिलाें का जुड़ाव इस शहर से है। 10 हजार से अधिक लाेग-वाहनाें का हर दिन आना-जाना हाेता है। यहां से अतिक्रमण हटाने के लिए पिछले सप्ताह डीएम ने विशेष बैठक बुलाई थी। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियाें काे हर हाल में अतिक्रमण खाली करा ट्रैफिक स्मूथ कराने के लिए कहा गया था। विशेष टीम भी बनी।

उस बैठक के 10 दिन से अधिक हाे गए। पहले भी अनेक बैठकें हाे चुकी हैं। अहियापुर थाना करीब 200 मीटर पर है। लेकिन, न अतिक्रमणकारी हटे, न बस-ऑटाे चालकाें की मनमानी रुकी। सड़क के दाेनाें तरफ एनएच की 80-80 फीट जमीन है। पर, स्थिति यह कि सड़काें व डिवाइडर पर भी दुकानें सजती हैं। इतना ही नहीं इनके लिए किराए भी वसूले जाते। सरकारी-निजी दाेनाें बस स्टैंड सड़क पर हैं, जबकि ऑटाे चालक ताे बीच सड़क काे भी पड़ाव बना लेते हैं। चिलचिलाती धूप में लाेग जाम में फंसे रहते हैं, पर वे सुनते तक नहीं।

बैरिया, चांदनी चाैक, रामदयालु में बस-ऑटो चालक करते मनमानी

जीराेमाइल समेत शहर के सभी प्रवेश द्वार अतिक्रमण की चपेट में हैं। बाहर से आनेवालों का घंटाें रास्ता ढूंढने में जाया हाे जाता है। बैरिया गाेलंबर, चांदनी चाैक, गाेबरसही, रामदयालु में बस-ऑटाे चालकाें की मनमानी चलती है। बीच सड़क पर पैसेंजर बैठाए जाते। बैरिया गाेलंबर व चांदनी चाैक पर शहर से निकलनेवाले काॅर्नर पर बसें ऐसे लगती हैं कि घंटा-आधा घंटा फंसे बगैर काेई वाहन नहीं निकल पाता। गाेबरसही-रामदयालु में दाेनाें तरफ दुकानें सजी रहतीं और ऑटाे चालकाें का कब्जा रहता है। इन दाेनाें जगह ताे रेल गुमटी के कारण भी भीषण जाम लगता है।

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