मुजफ्फरपुर में चार वर्ष बाद अगस्त में नहीं आयी बाढ़, अनुमान से 45 प्रतिशत कम बारिश होने से खराब हो रही धान की फसल

पानी के अभाव में सूख रहे खेत.

भादो का महीना बीत रहा है. सामान्य तौर पर इस महीने को बाढ़ व बारिश का समय कहा जाता है. लेकिन करीब चार साल बाद अगस्त में न तो बाढ़ नहीं दिख रही है और न ही बारिश से लबालब भरे तालाब नजर आ रहे हैं. आलम यह है कि बागमती व बूढ़ी गंडक जैसी नदी का भी पेट भरा हुआ नहीं है. अखाड़ाघाट में तो बूढ़ी गंडक की स्थिति जून-जुलाई के महीने जैसी हो गयी है. नदी के अंदर से रास्ता बना कर लोग शेखपुर ढाब में आ-जा रहे हैं. नदी के बीच में बालू के कई टीलाें पर पानी चढ़ा ही नहीं है. पिछले साल की ही बात करें तो इस समय स्लुइस गेट को बंद कर दिया गया था. एक तरफ तो यह राहत देने वाली बात है कि बाढ़ की तबाही से लोगों को इतने दिन बाद राहत मिली है. लोग चैन से अपने घर में पूजा-पाठ कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर खेती-किसानी के लिए मौसम विपरीत है.

सितंबर में भी नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसान

मौसम विभाग के अनुसार अगस्त में अनुमान से 45 फीसदी कम बारिश हुई है. इस कारण धान के खेतों में दरारें पड़ने के साथ धान की फसल पीली होती जा रही है. किसानों को सिंचाई के लिए डीजल सब्सिडी दी जा रही है. लेकिन सरकारी नलकूपों के अनुपयोगी होने और नहरों में पानी नहीं होने से गिने-चुने किसान ही इसका लाभ ले पायेंगे. किसानों का कहना है कि अब बारिश नहीं हुई तो रबी की फसल भी बेहतर होने की संभावना नहीं दिख रही है. एमवीआरआइ भटौलिया के डायरेक्टर अविनाश कुमार बताते हैं कि पिछले चार साल में ऐसी स्थिति नहीं हुई थी. सितंबर महीने के पहले सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो धान की बाली खखरा हो जाएगी यानी धान में दाना नहीं भर पायेगा. अगर ऐसा हुआ तो महंगाई बढ़ने के साथ किसान बी बर्बाद हो जाएंगे.

Share This Article.....

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *