जिले के 1200 स्कूल बसाें समेत 1 लाख 6 हजार 700 व्यवसायिक वाहनाें में जीपीएस युक्त पैनिक बटन लगाया जाएगा। इसके लिए 6 माह की समय सीमा तय की गई है।
पहले फेज में जिन व्यवसायिक वाहनाें में जीपीएस व पैनिक बटन लगाया जाना है, उसे चिह्नित करने का काम जिला परिवहन कार्यालय ने शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि जीपीएस (व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस) में ही पैनिक बटन है। इसलिए स्कूल बसाें काे प्राथमिकता के आधार पर इस डिवाइस काे लगाने का निर्देश दिया गया है।
एमवीआई रंजीत कुमार ने बताया कि स्कूल बसाें में बच्चाें की सुरक्षा काे लेकर सरकार गंभीर है। स्कूल बसाें के परिचालन काे लेकर विशेष गाइडलाइन जारी की गई है। इसके पालन काे लेकर जीपीएस युक्त पैनिक बटन लगाने का सभी स्कूल संचालकाें काे दिया गया है। साथ ही बस, ट्रक, कैब समेत अन्य व्यवसायिक वाहनाें में भी इस डिवाइस काे लगाना अनिवार्य किया गया है।
पैनिक बटन वाली डिवाइस नहीं लगाने पर वाहनों का रजिस्ट्रेशन व परमिट हाेगी रद्द
कॉमर्शियल वाहन यदि 6 माह के अंदर व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस नहीं लगाते हैं ताे परिचालन पर रोक लगाने के साथ उनकी परमिट व रजिस्ट्रेशन रद्द कर दी जाएगी। विभाग का मानना है कि टोल टैक्स वसूली के अलावे इस डिवाइस से अपराध पर भी अंकुश लग सकेगा। दुर्घटना होने पर कई बार पुलिस व बचाव दल को लोकेशन के अभाव में घटनास्थल पर पहुंचने में देरी हो जाती है।
रूट से इतर चलने की भी हाेगी ट्रैकिंग
जीपीएस लगाने के पीछे परिवहन विभाग का उद्देश्य सिर्फ टोल वसूली ही नहीं है। इसकी मदद से वाहनाें का पूरा डाटा बेस बनाने का भी लक्ष्य है। इसके अलावा काेई भी कॉमर्शियल वाहन यदि अपने परमिट वाले निर्धारित रूट से अलग रूट पर चलेंगे तो व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस में लगी जीपीएस से लाेकेशन लेकर विभाग उसकी भी ट्रैकिंग कर सकेगा। इस पर विभाग को रोक लगा सकेगी।