सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्रयम्बके गौरी नरायणी नमोस्तुते ।।आदिशक्ति माँ दुर्गा की उपासना के पावन पर्व ‘शारदीय नवरात्रि’ की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।जगज्जननी माँ भगवती की कृपादृष्टि अपने सभी भक्तजनों पर बनी रहे, सबका कल्याण हो।जय माता दी l
आज कलश स्थापन है, अर्थात दुर्गा पूजा का पहला दिन. आज मां हाथी पर सवार होकर क़े पृथ्वी लोक पहुंची है. भक्तों के घर घर में उनकी पूजा हो रही है. आज उनके प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी. पंडित आएंगे घर में कलश को स्थापित किया जाएगा. 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा. क्या बच्चे और क्या बड़े सभी मैया रानी के रंग में रंगे हुए नजर आएंगे.
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां शैलपुत्री की उपासना से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से जाना जाता है। मां को हेमवती भी कहा गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा को आह्वान करें। मां शैलपुत्री आदिशक्ति मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप हैं। मां शैलपुत्री की कृपा से निडरता प्राप्त होती है और हर प्रकार का भय दूर हो जाता है। मां शांति, धन, विद्या, यश, कीर्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। इनका वाहन वृषभ है। माता शैलपुत्री की उपासना से मूलाधार चक्र जागृत होता है।