आस्था का महापर्व माने जाने वाले छठ पूजा का आज दूसरा दिन है। खरना का प्रसाद घर-घर में बन रहा है। लोग दूर-दूर से इस महापर्व में शामिल होने अपने घर अवश्य आते हैं। ये छठी मइया में उनकी आस्था है। ऐसा ही एक दंपती, जो ऑस्ट्रेलिया में रहता है और पिछले चार वर्षों से छठ पर्व में आने किया कोशिश कर रहे थे। लेकिन, कोरोना काल होने के कारण वे नहीं आ सके। हम बात कर रहे हैं। मनियारी के रमेश प्रसाद सिंह के पुत्र निलेश कुमार और उनकी पत्नी श्वेता की। निलेश ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में एक आईटी कंपनी में बतौर इंजिनियर कार्यरत हैं। श्वेता के पिता अशोक कुमार सिंह नगर निगम में पदाधिकारी हैं। इस बार इनके दामाद और बेटी अपने गांव छठ पर्व में शामिल होने पहुंचे हैं।
खुशी इतनी की आंखे भर आती
श्वेता ने बताया की चार साल बाद फिर से इस महापर्व में शामिल होने का मौका मिला है। ऑस्ट्रेलिया में कोरोना काल में दो बार बार आने की कोशिश की। लेकिन, आ नहीं पाए। कहती हैं, जब भी छठ पर्व होता तो वीडियो कॉलिंग कर यहां से उनकी सास या अन्य लोग दिखाते थे। यह देखकर मन और भी लालायित हो उठता था। सोचती काश आज मैं भी वहां होती। सोशल मिडिया और यू ट्यूब पर छठी मइया के गाने सुनती थी। लेकिन, मन नहीं भरता था। यहां आकर आज इतनी खुशी मिल रही है की बता नहीं सकती हूं। कहते हुए उनकी आंखे भर आती है।
वहां थोड़ा बहुत पता लगता था
निलेश कहते हैं की एडिलेड में कुछ बिहार के लोग रहते हैं। जब छठ पूजा होता तो थोड़े बहुत गाने सुनने को मिल जाते थे। लेकिन बहुत ज्यादा पता नहीं लगता था। काफी कोशिशों के बाद इस बार घर पर आने का मौका मिला है। एक महीने की छुट्टी लेकर आया हूं। माता पिता के साथ अच्छे वक्त बिताऊंगा और छठ पूजा का पूरा आनंद उठाऊंगा। साथ में उनका बेटा आरव भी आया है। वह टूटी फूटी हिंदी बोलता है। लेकिन, माता पिता ने उसमे भारतीय संस्कृति को अच्छे तरह से भरा है। पैर छुने से लेकर छठ पूजा के महत्व और इसकी आस्था को वह समझता है।