एडिलेड से लेकर मेलबर्न और पर्थ से लेकर ऑकलैंड, अपनी बॉडी पर तिरंगा पेंट किए एक शख्स सचिन और टीम इंडिया की दीवानगी झलकाता नजर आता है. उसके पास कोई जॉब नहीं है, लेकिन टीम इंडिया के हर मैच में वो मैदान में मौजूद होता है.
अपने पिता से आखिरी बार उसने कब बात की, शायद उसे याद भी न हो, लेकिन बांद्रा (मुंबई) में सचिन तेंदुलकर के घर वो अकसर जाता है. अपने पास हमेशा एक पावरबैंक रखता है ताकि फोन कभी गलती से भी स्विच ऑफ न हो जाए, लेकिन उसकी इकलौती बहन जब फोन करती है तो कॉल पिक नहीं करता.
हम बात कर रहे हैं इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे बड़े फैन सुधीर कुमार चौधरी उर्फ सुधीर गौतम का. यह सुपरफैन आपको टीम इंडिया के हर मैच में ग्राउंड में दिखेगा. अपने हाथों से विशाल तिरंगा ऐसे लहराता है मानो इसी पर उसकी जिंदगी टिकी हो. सचिन तेंदुलकर और टीम इंडिया का यह दीवाना आज हर ऐड, रेडियो, न्यूजपेपर और टीवी पर छाया हुआ है.
आप सोचते होंगे कि क्या गजब की शोहरत पाई है बंदे ने. पर हम आपके सामने खोल रहे हैं सुधीर की जिंदगी की कुछ ऐसे पन्ने जिन्हें पढ़कर आपको भी ताज्जुब होगा. मशहूर खेल पत्रिका ‘विजडन’ ने सुधीर की जिंदगी को एक खुली किताब की तरह सामने रख दिया है.
जो जिंदगी सुधीर आज जी रहा है, उसके लिए वो 3 नौकरियां छोड़ चुका है. सबसे पहले सुधीर काम करता था मुजफ्फरपुर, बिहार की सुधा डेरी में जहां वो कलाकंद से लेकर खोया तक सब कुछ बनाने में एक्सपर्ट था.
उसने वो नौकरी छोड़ी और पैसे इकट्ठे करके पासपोर्ट बनवाया ताकि वो इंडियन टीम के साथ विदेश जा सके. उसके बाद सुधीर ने शिक्षा मित्र में काम किया. क्यूंकि ये दूसरी नौकरी फुल टाइम नहीं थी, इसलिए उसे इंडिया का हर मैच देखने का मौका मिल ही जाता था. जॉब से रिलेटेड एक ट्रेनिंग थी फरवरी 2004 में, पर सुधीर जनवरी में ही अपनी साइकिल उठा कर पाकिस्तान चला गया.
फिर साल 2005 में फिजिकल टेस्ट और प्रिलिमिनरी एग्जाम पास करने के बाद उसे इंडियन रेलवे में एक टिकट कलेक्टर की जॉब मिली. पोस्टिंग थी लाल गोंडा, हैदराबाद में. लेकिन जब इंटरव्यू का बुलावा आया, तो सुधीर को लगा कि दिल्ली में इंडिया-पाकिस्तान का छठा वनडे मैच मिस हो जाएगा. तो आखिरकार उसने इंटरव्यू का लेटर ही फाड़ दिया.
यहां से 11,000 किलोमीटर दूर बैठा सुधीर वर्ल्ड कप के मैचों में टीम इंडिया का हौसला बढ़ा रहा है. सर से पांव तक इंडिया के रंग में रंगा सुधीर जो एडिडास के जूते पहनता है वो उसे तेंदुलकर ने गिफ्ट किए हैं. उसकी मैचिंग की नाइकी की ट्रेनिंग जर्सी, ट्रैक पैंट और कैप उसे दी है रमेश माने ने जो एक मालिशवाला है.
साल 2003 में इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सीरीज में 1 नवंबर को इंडिया-ऑस्ट्रेलिया का मैच होना था. तब सुधीर 8 अक्टूबर को अपने घर से मुंबई के लिए साइकिल पर ही रवाना हो गया. मुंबई पहुंचा 24 अक्टूबर को. उस दिन दिवाली थी. एक पूरा दिन घूमते घूमते सचिन का घर तलाशता रहा. फिर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन जाकर प्रोफेसर रत्नाकर शेट्टी और लालचंद राजपूत से मिला. और उन्हें समझाया कि उसे मैच के पास नहीं चाहिए, बल्कि सिर्फ सचिन से मिलना है.
कुछ पत्रकारों ने सुधीर को बताया कि सचिन उसी दिन ट्राइडेंट होटल में इवेंट में आने वाले थे. वो वहां अपनी साइकिल के साथ उनका इंतजार करता रहा. सचिन के आने पर वो भीड़ और सिक्योरिटी को चीरता हुआ सचिन की तरफ भाग वहां उसने पहली बार सचिन के पैर छुए. सचिन ने वहीं उसे अपने घर आने का न्योता दे डाला.
29 अक्टूबर को जब वो सचिन से मिलने पहुंचा तो सचिन ने न सिर्फ उसे खाना खिलाया, बल्कि अगले वन डे मैच का पास भी दे डाला.
अगली बार जब सुधीर की सचिन से मुलाकात हुई तब सुधीर के ग्रेजुएशन एग्जाम होने वाले थे. सचिन ने उसे एग्जाम देकर वापस आने को कहा. लेकिन तब कटक में न्यूजीलैंड के साथ इंडिया का वन डे मैच होना था. उसने सोचा कि एग्जाम तो वो कभी भी दे सकता है, इसलिए वो मैच देखने चला गया. इंडिया की हालत काफी खराब थी. लेकिन जब सचिन बल्लेबाजी कर रहे थे, तो वो ग्राउंड में उनके पैर छूने भागा. उसे वहां पुलिस ने पकड़ लिया, लेकिन सचिन ने फिर उसे छुड़वाया.
इसके बाद हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में हुए मैच में इंडियन टीम का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, और सचिन ने वहां शतक भी ठोका. पिछली बार सचिन ने उसे ग्राउंड में ऐसे भाग कर आने को मन किया था, लेकिन सचिन कि परफॉरमेंस देख कर उत्साहित सुधीर फिर से ग्राउंड में भागा. इस बार पुलिस ने उसे सिकंदराबाद थाने में डाल दिया.
सुधीर की फैमिली ने कई बार चाहा कि उसकी शादी हो जाए. लेकिन सुधीर का मानना है कि क्योंकि उसके पास कोई जॉब नहीं है और कोई ठिकाना नहीं है, इसलिए वो शादी नहीं कर सकता. उसने अपनी पूरी जिंदगी क्रिकेट को समर्पित कर दी है. क्रिकेट के अलावा उसे और कुछ नहीं सूझता.
सिर्फ इसलिए कि सुधीर इंडिया के किसी न किसी मैच में बिजी रहा, वो अपने छोटे भाई और बहन की शादी में भी शामिल नहीं हो पाया. इसके अलावा रक्षाबंधन पर जब उसकी बहन उसे फोन करती है वो तब भी उससे बात नहीं करता. किसी रक्षाबंधन पर वो इंडिया को सपोर्ट करने बांग्लादेश में होता है, तो कभी श्रीलंका में.
इतनी लोकप्रियता पा चुका सुधीर बताता है कि उसका किसान परिवार काफी गरीब है. घर इतना छोटा कि देखने वाले को भी अजीब लगे. दीवारें पुरानी हैं. छत से पानी टपकता है. भरोसा नहीं कब ढह जाए. अक्सर रेडियो या टीवी वाले उसे फोन करते हैं और इंडिया के मैचों के लिए उसके ट्रैवल का खर्च उठाते हैं. बदले में सुधीर उनके लिए प्रोग्राम करता है.
हर मैच की तरह इस वर्ल्ड कप में भी उसके ट्रैवल का खर्च स्पॉन्सर्ड है. लेकिन वो खुद कोई पैसे नहीं कमाता. उसका मानना है कि वो पैसे का क्या करेगा? ट्रेन में भी पहले वो बिना टिकट चला जाता था. पिछला वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब वो ट्रेन से कोलकाता जा रहा था तो टीटी ने उसे पकड़ लिया. अपने और सचिन के बारे में बताने पर टीटी ने उसे छोड़ दिया. लेकिन टीटी ने जब उससे कहा कि ऐसे वो सचिन का नाम खराब कर रहा है, तब से उसने बिना टिकट सफर करना बंद कर दिया.
श्रीलंका के पर्सी, पाकिस्तान के बशीर चाचा, वेस्ट इंडीज के ग्रेवी और आयरलैंड के लैरी की ही तरह सुधीर भी अपने देश की टीम का दीवाना है. लेकिन ऐसी तमाम बातें हैं जो सुधीर को बाकी सब फैन्स से अलग करती हैं.
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