मुजफ्फरपुर में महा शिवरात्रि के मौके पर शहर के बाबा गरीब नाथ मंदिर में भोले बाबा की बारात निकाल दी गई है। पहले भोलेनाथ को मौरी पहनाया गया। फिर, आरती की गई। इसके बाद जय भोलेनाथ का नारा गूंजने लगा।
मौके पर लोगो की जन सैलाब उमड़ पड़ा। वही, जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्तों के भीड़ को देखते हुए मंदिर का पट सुबह चार बजे से खोल दिया गया था। वहीं, सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध भी किए गए हैं।
मंदिर प्रशासन की ओर से 400 से अधिक सेवा दल के सदस्यो को तैनात किया गया है। दोपहर 3 बजे के बाद महा शिवरात्रि को लेकर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा गोला स्थित श्री राम भजन सेवाश्रम से निकाली गई।
फिर, बाराती को सोनरपट्टी में रोका गया। बाबा गरीबनाथ मंदिर से बाबा का रथ शोभा यात्रा में शामिल किया गया। वहा से फूल माला उड़ाया गया। इसके बाद बाराती आगे निकली।
यह रहा शोभा यात्रा का रूट
जो शहर के गोला दुर्गा स्थान के रास्ते ब्राह्मण टोली, साेनानपट्टी, पुरानी बाजार, छाेटी कल्याण, हरिसभा चाैक से बड़ी कल्याणी, माेतीझील हाेते हुए धर्मशाला, संताेषी माता मंदिर, इस्लामपुर, सुतापट्टी, सैयागंज टावर हाेते हुए छाता बाजार के रास्ते बाबा के दरबार पहुंची।
रात्रि में बाबा का फूलों व फलाें से मनमाेहक महाश्रृंगार किया गया।
इसकी तैयारी काे लेकर बाबा गरीबनाथ मंदिर काे फूलाें व रंग-बिरंगे लाईटाें से भव्य रूप से सजाया गया।
विधि-विधान से होगी शिव विवाह
मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने बताया कि महाशिवरात्रि पर बाबा गरीबनाथ मंदिर में विधि-विधान से भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह महाेत्सव हाेगा।
मंदिर में बाबा काे माैरी पहनाने के साथ माता पार्वती के साथ गठबंधन किया जाएगा। रात्रि में विवाह के पश्चात काेहवर हाेगा। जिसमें महिलाएं पारंपरिक तरीके से विवाह गीताें की प्रस्तुति करेंगी।
भगवान शिव का हुआ मटकोर पूजा संपन्न
महाशिवरात्रि पर शहर के विभिन्न मंदिरों में भगवान शिव व माता पार्वती का मटकाेर व सत्यनारायण भगवान की पूजा हुई। इस दाैरान श्रीराम भजन आश्रम व बाबा गरीबनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की गयी।
कलमबाग राेड पंजाबी काॅलाेनी स्थित मां वैष्णाें मंदिर में विधि-विधान से मटकाेर पूजा संपन्न हुआ। साथ ही 24 घंटे के लिए अष्याम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर मंदिर से गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया।
जाे लाॅ काॅलेज परिसर पहुंचकर आम व महुआ की पूजा की गयी। महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से गीताें की प्रस्तुति किया।
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