मां ने बकरी पालकर घर चलाया, टीचर ने दी फीस…जानिए UPSC क्रैक करने वाले विशाल के संघर्ष की कहानी…



कहते हैं मन मे कुछ करने की इच्छा और लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। कुछ ऐसा ही कारनामा मुजफ्फरपुर के विशाल कुमार कुशवाहा ने कर दिखाया है। उन्हें UPSC में 484 वां रैंक प्राप्त हुआ है। यह उनका दूसरा एटेम्पट था। जिसमें उन्हें सफलता मिली है। वे बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रहने के लिए अच्छा घर भी नहीं है।




उनके पिता बिकाऊ प्रसाद कुशवाहा की मौत वर्ष 2008 में हो गयी थी। इसके बाद से उनकी मां ही किसी तरह परिवार का भरण पोषण करती है। उनकी इस सफलता में उनके शिक्षक गौरीशंकर प्रसाद सिंह का भी बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने सातवीं कक्षा में ही विशाल का हाथ थाम लिया था। आर्थिक रूप से भी उसकी मदद करते थे।




यही कारण है कि आज विशाल के मेहनत और परिजनों के आशीर्वाद से उसने गांव ही नहीं बल्कि पूरे जिला का नाम रौशन कर दिया है। गांव में खुशी का माहौल है। मिठाईयां बांटी जा रही है। घर पर मिलने वालों और बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।




मैट्रिक में जिला टॉपर था विशाल
विशाल की मां रीना देवी ने बताया कि गांव के ही सरकारी स्कूल से उसकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। इसके बाद RK हाई स्कूल छपरा से मैट्रिक पास किया। जिसमें वह जिला टॉपर था। इसके बाद LS कॉलेज से इंटर किया। फिर सुपर 30 में उसका चयन हुआ। IIT कानपुर से बीटेक करने के बाद रिलाइंस में जॉब करने लगा था। लेकिन, वह अपनी जॉब से संतुष्ट नहीं था। अक्सर कहता था कि इस जॉब से उसे खुशी नहीं मिलती है। इससे भी कुछ बेहतर और देश के लिए कुछ करना चाहता है।




शिक्षक ने किया मार्गदर्शन
फिर उसके शिक्षक गौरीशंकर सिंह ने उसका मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि UPSC की तैयारी करो। वर्ष 2020 से उसने तैयारी शुरू की। लेकिन, पहली बार मे उसे सफलता नहीं मिली। फिर भी उसकी हिम्मत नहीं टूटी। परिजन और शिक्षक का साथ मिलता रहा। दूसरी बार मे उसे सफलता हासिल मिलग गयी।



दीवार में सटकर सो जाता था
बहन खुशबू और भाई राहुल बताते हैं कि भैया शुरू से पढ़ने में काफी तेज थे। रात भर जगकर पढ़ाई करते थे। हमलोग उन्हें जबरन सोने के लिए कहते थे। फिर भी बिछावन पर सोने नहीं जाते थे। दीवार में सिर लगाकर सो जाते थे। दो तीन घन्टे में उठकर फिर पढ़ने लगते थे।



आज उनकी मेहनत का नतीजा है कि हम सब का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। खुशबू ने बताया कि पिताजी की मौत देवघर से लौटने के क्रम में हुई थी। वे चलते चलते गिर गए थे। जिससे उनके सिर में काफी चोट लगी थी। ब्रेन हेमरेज होने के कारण उनकी मौत हो गयी। तब से मां ने ही पाल पोश कर हमलोगों को पढ़ाया।



दूसरे एटेम्पट में अभिनव ने मारी बाजी
मीनापुर के टेंगराहां के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक उमेश्वर सिंह के बेटे अभिनव कुमार को दूसरी बार मे UPSC में सफलता मिली है। उन्हें 146 रैंक मिला है। अभिनव ने भास्कर से बातचीत में बताया कि IIT करने के बाद जॉब कर रहे थे। लेकिन, इससे संतुष्टि नहीं थी। जॉब करने के साथ-साथ UPSC की तैयारी शुरू कर दी।



दिल्ली में ही कोचिंग करने लगे। लेकिन, पहली बार मे सफलता नहीं मिली। फिर कोचिंग छोड़ दिया और खुद से तैयारी करने लगे। दूसरी बार मे सफलता मिल गयी। उनके पिता ने बताया कि आज बेटे की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। वह शुरू से ही देश सेवा करना चाहता था। आज उसकी सफलता पर हमें नाज है।



INPUT: bhaskar.com



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