जयपुर शहर से लगभग 20 किमी दूर दिग्गी सड़क पर भीम राज शर्मा ने गोबर से पेपर तैयार करने का प्लांट लगा रखा है। वह गोबर से बने प्रोडक्ट बनाकर बिक्री कर रहे हैं जिनसे उन्हें करो रुपए की कमाई हो रही है। त्योहार के दिनों में तो डिमांड इतनी होती है कि वह सप्लाई नहीं कर पाते।
भीम राज कहते हैं कि गाय और आयुर्वेद को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे राजीव दीक्षित के कुछ क्लिप सुन रहा था। देखते हैं कि रोड पर आवारा गाय घुमा करती है और उनकी मौत भी हो जाती है। ऐसा कई बार सुना कि दक्षिण अफ्रीका में हाथी के गोबर से कुछ उत्पाद और पेपर बनाए जा रहे हैं। फिर मैंने भी गाय के गोबर से कुछ बनाने की सोची।
मुझे मालूम हुआ कि गाय की औसतन आयु 15 वर्ष होती है, जिसमें वह 10 वर्ष दूध ही नहीं देती है। जबकि गाय हमेशा गोबर देती है। भीमराज कहते हैं कि मेरे बड़े भाई ने तो पागल खाना भेजने की बात तक कह दी थी। घर वाले भी खूब मजाक उड़ा रहे थे। मुझे भी डर लगने लगा था। मैंने हिम्मत की और रिश्तेदारों से व्यापार शुरू करने के लिए पैसों की डिमांड की, लेकिन सबने निराश कर दिया।
उन्होंने खुद मशीन डिजाइन किया और ऑर्डर देकर बनवाया। पहली बार पेपर किसी नक्शे की तरह बना। सभी देखकर उपहास उड़ाने लगे। मैंने इंटरनेट का रुख किया। भीमराज कहते हैं कि वह दिन भी याद है जब उन्हें पेपर को लोग देखते ही फेंक देते थे। लेकिन अब 70 तरह की आइटम्स की बिक्री करता हूं और रोजाना 3 हजार शीट पेपर बनाता हूं।
अब तो लबासना (लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन) जैसे बड़े-बड़े संस्थान से आर्डर आते हैं। हम पेपर, फोल्डर, डायरी, ग्रीटिंग कार्ड, किताब, फाइल, कैलेंडर जैसे प्रोडक्ट बना रहे हैं। लोग प्लास्टिक के जगह हमारे प्रोडक्ट खरीद रहे हैं। ज्यादातर कॉलेज-यूनिवर्सिटी में होने वाले कॉन्फ्रेंस, सेमिनार और वर्कशॉप में हमारे प्रोडक्ट की मांग है।
भीमराज ने बताया कि प्रोडक्ट पर 50 फ़ीसदी की प्रॉफिट होती है। अगर किसी प्रोडक्ट को तैयार करने में 100 रुपए की लागत आती है तो हम उसकी बाजार में 200 रुपए कॉस्ट रखते हैं। अब फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर हमारे प्रोडक्ट मौजूद हैं। हम भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप समेत कई देशों में अपने प्रोडक्ट की बिक्री कर रहे हैं।