‘जेल का ताला टूट गया, मनीष कश्यप छूट गया’, जेल से रिहा होते ही मनीष कश्यप का भव्य स्वागत, समर्थकों ने खूब की नारेबाजी…

यूट्यूबर मनीष कश्यप को शनिवार को पटना की बेउर जेल से रिहाई मिल गई है। जेल से बाहर आते ही मनीष के समर्थकों ने माला पहनाई। कंधे पर बिठाया। आरती भी उतारी। इसके बाद ओपन जीप से मनीष का काफिला बेउर जेल से निकला। इस दौरान जगह-जगह समर्थकों ने स्वागत किया।

रिहाई के दौरान बेउर जेल के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। 9 महीने पहले मनीष कश्यप ने तमिलनाडु के मजदूरों के फर्जी वीडियो वायरल करने के केस में सरेंडर किया था। तब से वो जेल में था।

शुक्रवार को ही मिल गई थी जमानत

मनीष कश्यप को शुक्रवार को ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी वो बेऊर जेल से रिहा नहीं हो सका। कागजात में नाम में गड़बड़ी के कारण रिहाई नहीं हो पाई। कोर्ट से जो कागजात भेजे गए थे, उसमें नाम में अंतर पाया गया है। इस कारण बेऊर जेल प्रशासन ने उसे रिहा नहीं किया

डॉक्यूमेंट में गड़बड़ी के चलते नहीं हुई रिहाई

दरअसल, मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी तिवारी है। जबकि रिहाई के कागजात पर त्रिपुरारी कुमार लिख दिया गया था। इस कारण संशोधन के लिए कागजात वापस कोर्ट भेज दिए गए। उसकी रिहाई नहीं पाई। इधर जेल के बाहर मनीष के समर्थक देर रात तक उनका इंतजार करते रह गए।

शनिवार सुबह मनीष के वकील बेतिया से कोर्ट का बेल ऑर्डर लेकर बेउर जेल पहुंचे हैं। जिस नाम को लेकर बेउर जेल प्रशासन ने आपत्ति जताई गई थी। उसे डॉक्यमेंट्स में सही कराकर दिया गया। इसके बाद बेउर जेल से मनीष को छोड़ा गया।

 

18 मार्च को बेतिया में किया था सरेंडर

तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो शेयर करने को लेकर यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें बढ़ी थी। इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने मनीष कश्यप के खिलाफ FIR दर्ज किया था। जब इस केस में छापेमारी शुरू हुई तो डर से मनीष कश्यप बिहार छोड़कर फरार हो गया था। उसकी तलाश में कई जगहों पर छापेमारी हुई थी।

बेतिया पुलिस ने 18 मार्च को दूसरे केस में मनीष के घर की कुर्की जब्ती शुरू की तो उसी दिन स्थानीय थाने में सरेंडर किया। उसी दिन पटना से गई EOU की टीम ने उसे अपने केस में कब्जे में लिया था। रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की और जेल भेज दिया था।

30 मार्च को ले गई थी तमिलनाडु

पुलिस मनीष कश्यप के सरेंडर करने के तुरंत बाद तमिलनाडु पुलिस की टीम पटना पहुंची थी। 30 मार्च को ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु पुलिस अपने साथ ले गई थी। हालांकि अगस्त में उसे वापस पटना लाया गया। फिर बेतिया कोर्ट ने मनीष को बिहार के जेल में ही रखने का आदेश दिया था।

input-dainikbhaskar

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