ऑटो ड्राइवर की बिटिया UPSC टॉपर, देश भर में मिला पहला रैंक, भावुक होकर रोने लगी मां…

हम आज मेघा अरोड़ा की कहानी सुनेंगे। मेघा कहती है कि उनके माता पिता बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं। पापा ने घर परिवार चलाने के लिए ऑटो चलाया था। गुजर बसर चल रहा था। पिताजी ने हमेशा ध्यान रखा कि मेरी पढ़ाई में पैसा बाधा न बने। यही कारण था कि वह दिन-रात कठिन परिश्रम करता था। मम्मी-पापा ने मुझे अधिकारी बनने का सपना देखा था, जो आज पूरा हो गया है…।

यूपीएससी परीक्षा में ऑटोरिक्शा चालक की बेटी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया: दुनिया का कोई आभाव प्रतिभा को दबा नहीं सकता। आगरा की रहने वाली मेघा अरोड़ा इसकी मिसाल बन गई हैं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक सेवा (IAS) परीक्षा में मेघा ने ऑल इंडिया लेवल पर 8वीं रैंक हासिल की है। Megha की मां एक शिक्षिका है और उनके पापा एक कार चालक हैं। यह मेघा, जो मध्यमवर्गीय परिवार से आता है, की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

वह शुरू से ही पढ़ने में अच्छी थीं। बारहवीं की परीक्षा में उन्हें 95 प्रतिशत अंक मिले थे। उनके सपनों को अच्छे अंकों से पंख मिल गए। वे दिल्ली चली गईं और प्रसिद्ध हंसराज कॉलेज में दाखिला लिया। बारहवीं में पढ़ाई करने वाली मेघा ने अपने ताऊ की बात मानकर कॉमर्स में ग्रैजुएशन करने का निर्णय लिया था। उन्होंने ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से इसी विषय में पीजी भी किया।

बाद में मेघा ने यूपीएससी की IELTS परीक्षा को अपना लक्ष्य बनाया। वे बताते हैं कि उनके ताऊ जी ने उनकी तैयारी में काफी मदद की है। मेघा ने पहले ही प्रयास में बाजी मार ली, जो उनकी लगन और मेहनत का अच्छा उदाहरण है।

मेघा की इस सफलता पर उनके पिता सुनील अरोड़ा, जो आठवीं कक्षा में पढ़ते थे, कहते हैं, “उसने हम सबका नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है।” उसे इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। ये हम सभी के लिए एक सपने से कम नहीं है।’ मेघा की मां सविता प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका हैं। “पढ़ाई में तो मेघा हमेशा अव्वल रही है,” वे कहती हैं। वह हमारे परिवार में इकलौती सरकारी अधिकारी है। माता-पिता होने का गर्व है।’

गौर करने वाली बात यह है कि मेघा और उनके 15 और साथियों ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से परीक्षा दी थी, लेकिन उनमें से सिर्फ मेघा का चुनाव हुआ। “एक दोस्त की सलाह पर मैंने इस परीक्षा की तैयारी शुरू की थी,” मेघा बताती हैं। मैं अर्थशास्त्र की बुनियादी बातें जानता था, लेकिन फिर भी हर दिन आठ से बारह घंटे पढ़ाई करनी पड़ी, तब जाकर चुनाव हुआ।मेघा को फिक्शन साहित्य बहुत पसंद है और अमिताभ घोष उनके पसंदीदा लेखक हैं।

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