मुजफ्फरपुर में एक महिला ने बंध्याकरण के 2 साल बाद एक बच्चे को जन्म दिया। घटना मोतीपुर थाना क्षेत्र के महना गांव की है। महना गांव निवासी फुलकुमारी देवी ने 2019 में बंध्याकरण का ऑपरेशन स्थानीय मोतीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करावाया था। जबकि बंध्याकरण के दो वर्ष बाद महिला फिर से गर्भवती हो गई। इसके बाद परिजनों ने उसे स्थानीय मोतीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर जांच करवाया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा उक्त महिला का अल्ट्रासाउंड कराया गया। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में महिला के गर्भवती होने की पुष्टि हो गयी। इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के चिकित्सकों के बीच हड़कंप मच गई।
बता दें कि महिला ने बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद एक पुत्र को जन्म दिया। जबकि महिला को पहले से ही चार बच्चे हैं। महिला का परिवार काफी गरीब है। इस कारण महिला के परिजन बच्चों के भविष्य को लेकर काफी हताश व निराश है। इसके बाद महिला ने कोर्ट का रुख अपनाया और अपने बच्चे के भविष्य व पालन-पोषण के लिए स्वास्थ्य विभाग पर 11 लाख रूपये मुआवजे के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दर्ज कराया।
मामले के संबंध में मानवाधिकार वकील एस. के. झा ने बताया कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। और बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। साथ ही समय-समय पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की बातें सामने आती है। लेकिन मुजफ्फरपुर में सामने आए इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है।
उक्त महिला की ओर से प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग, कार्यपालक निदेशक सह सचिव स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, उपनिदेशक परिवार नियोजन, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार एवं प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया गया है। जिसपर आयोग द्वारा सुनवाई करने के पश्चात सभी विपक्षियों के विरुद्ध नोटिस जारी किया गया है। और सभी विपक्षियों को आयोग के समक्ष 13 जनवरी 2022 को सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। पीड़ित महिला की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा मुकदमा लड़ रहे हैं।
INPUT: Bhaskar