Muzaffarpur आंखफोड़वा कांड में पटना की टीम ने भी माना, मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल का वार्ड जानवरों को रखने के लायक भी नहीं

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को 65 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था। उसमें से 15 की एक आंख निकालने पड़ी है। इस घटना के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ओर से गठित जांच टीम के प्रमुख अंधापन निवारण के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा.हरिशचन्द्र ओझा ने जांच की। डॉ ओझा जब मरीज के भर्ती रहने वाले वार्ड में गए तो उनके मुंह से निकला अरे भाई इस तरह के वार्ड में मरीज की बात तो दूर जानवर भी नहीं रह सकता।




बेड पर बेड चढा हुआ था। कारोना प्रोटोकाल का पालन तक नहीं हो रहा था। डा.ओझा के साथ टीम में शामिल वरीय नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.सुनील कुमार भी हैरान थे।


सभी मरीजों की आंख में इंफेक्शन
उन्होंने कहा कि सेवा अगर हो तो मानवता और मेडिकल प्रोटोकाल का पालन होना चाहिए। डा.ओझा ने अस्पताल प्रबंधक से बातचीत की कि यहां पर नियमित चिकित्सक नहीं तो किस तरह से नियमित हर रविवार को शिविर व सोमवार को आपरेशन हो रहा है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से कब से नियमित चिकित्सक नहीं तथा बिना जिला स्वास्थ्य विभाग की सहमति के किस तरह से आपरेशन हो रहा। इस पर रिपोर्ट देने को कहा गया है। डॉ ओझा ने कहा कि अस्पताल को ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। यहां पर जो व्यवस्था है वह बिल्कुल नहीं मानक के हिसाब से नहीं दिख रहा है। मरीजों के रखने के लिए जो व्यवस्था है वह दुरुस्त रहनी चाहिए।


जो पुरानी है वह जर्जर हो गई है। जांच टीम में पहुंचे पीएमसीएच के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉक्टर सुनील कुमार ने मरीजों से बातचीत किया । उन्होंने कहा कि सभी मरीजों की आंख में इंफेक्शन है। जो 6 मरीज भर्ती हैं। उनका भी आंख निकालना ही होगा। वरना इंफेक्शन से उनके जान पर खतरा है।‌ टीम ने सिविल सर्जन को सलाह दिया कि जो भी अस्पताल इस तरह के ऑपरेशन करें हैं उनकी नियमित पड़ताल होती रहनी चाहिए । पता चले कि वहां पर व्यवस्था का क्या हाल है । मानक के हिसाब से सब कुछ चल रहा है या नहीं।

INPUT:JNN

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