आंखफोड़वा कांड के आरोपी मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के दोनों ओटी में बैक्टीरिया का संक्रमण मिला है। एसकेएमसीएच के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की रिपोर्ट में इसका जिक्र है।
ओटी एक में बैक्टीरिया संक्रमण ओटी टेबल और ओटी ट्रॉली पर और ओटी दो में बैक्टीरिया का संक्रमण माइक्रोस्कोप और ओटी टेबल पर मिला है।
माइक्रोबायोलॉजी के तीन सदस्यों ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग की चार सदस्यीय जांच टीम ने अपना मंतव्य तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लोगों की आंख ओटी के सामान के संक्रमण से खराब हुई। आंख खराब होने के पीछे डॉक्टर जिम्मेदार नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ओटी की जांच में दो बैक्टीरिया पाये गये। यही बैक्टीरिया मरीजों की आंख में चला गया जिससे लोगों की आंखें खराब हो गयीं।
माइक्रोस्कोप से लेकर एसी रिमोट तक की हुई जांच
मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर की माइक्रोस्कोप से लेकर एसी रिमोर्ट तक की जांच माइक्रोबायोलॉजी लैब में की गयी। 30 नवंबर को एसकेएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी लैब के दो सदस्यों ने ओटी में जाकर माइक्रोस्कोप, ओटी टेबल, ओटी ट्रॉली, ओटी ड्रम, ओटी इंस्ट्रूमेंट्स, ओटी वाल, ओटी गेट और और ओटी में लगी एसी के रिमोट का स्वाब क्लचर जांच के लिए लिया। इधर, स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट ब्रह्मपुरा थाना को भी भेजी जायेगी। थाना को भेजने के लिए पत्र सिविल सर्जन कार्यालय में तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा इस रिपोर्ट को आईएमए को भी भेजा गया है। वहीं, आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को 65 मरीजों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 26 लोगों की आंख की रोशनी जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एसीएमओ डॉ सुभाष प्रसाद सिंह के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बनायी थी। टीम में एसकेएमसीएच से नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार सिन्हा, सदर अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नीतू कुमारी, सदर अस्पताल के डॉ मो हसीब असगर शामिल थे।
आईजीआईएमएस में चार नए मरीज पहुंचे
मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक आंख गंवा चुके चार और पीड़ित आईजीआईएमएस में भर्ती होने पहुंचे। सोमवार को वहां के सिविल सर्जन द्वारा उन्हें पटना भेजा गया है। चारों को क्षेत्रीय चक्षु संस्थान (रियो सेंटर) में भर्ती कराया गया है।
अब क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में भर्ती मरीजों की संख्या 19 हो गई है। पहले से भर्ती 15 मरीजों के इन्फेक्शन लेबल की हुई जांच की दूसरी रिपोर्ट भी सोमवार को आ गई।
रिपोर्ट के अनुसार, इनकी आंख में संक्रमण का स्तर कम हुआ है। सोमवार को इन्हें दर्द भी कम महसूस हुआ। इनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि रोशनी गवां चुके मरीजों की आंख की रोशनी लौट पाएगी या नहीं, कहना मुश्किल है। जिन तीन मरीजों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुआ है, उनपर विशेषज्ञ नजर बनाए हुए हैं।
अध्यक्ष डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि रिपोर्ट के बाद चार मरीजों में अब भी संक्रमण का स्तर ज्यादा पाया गया। राहत के लिए पेंटाविट्रेल इंजेक्शन दिया गया है। अन्य मरीजों की आंखों में संक्रमण का स्तर पहले की तुलना में कम पाया गया है। मरीजों ने भी तीन दिन पहले की तुलना में सोमवार को 70 से 80 प्रतिशत दर्द कम होने की बात कही है।
संक्रमण खत्म होने के बाद ही ऑपरेशन: डॉ. विभूति ने बताया कि संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही ऑपरेशन के बारे में डॉक्टरों की टीम विचार करेगी। बताया कि भर्ती 19 लोगों में से 16 लोगों की आंखों में रोशनी लौटने की संभावना न के बराबर है। जिन तीन लोगों का ऑपरेशन हुआ है, उन पर भी डॉक्टरों की टीम लगातार नजर बनाए हुई
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