आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 65 राेगियाें की आंख की रोशनी जाने के बाद अब जिले में अंधापन निवारण कार्यक्रम पर सवाल उठने लगा है। क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डाॅ. राकेश चंद्र सहाय वर्मा ने हर साल अंधापन निवारण के लिए दी जा रही राशि और इसके तहत पंजीकृत निजी अस्पतालों की जानकारी मांगी है। उन्होंने सिविल सर्जन से घटना दाेबारा न घटे इसके लिए गठित जिला निगरानी कमेटी के बारे में भी पूछा है।
क्षेत्रीय अपर निदेशक ने जिला स्तर पर निगरानी में चूक की पड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने पूरे प्रकरण में 6 बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब की है। अब सीएस और एसीएमओ कार्यालय संबंधित रिपोर्ट बनाने में जुटा है। सीएस की रिपोर्ट के बाद डाॅ. सहाय मामले की समीक्षा करेंगे। रिपोर्ट कमिश्नर, अंधापन निवारण कार्यक्रम के राज्य पदाधिकारी, निदेशक प्रमुख, अपर मुख्य सचिव व विशेष सचिव सह कार्यपालक निदेशक को भी भेजी जाएगी।
आई हॉस्पिटल में सर्जरी काे लेकर 6 जिलाें काे भेजी रिपोर्ट
आई हॉस्पिटल में 22 से 27 नवंबर तक उत्तर बिहार के जिन 6 जिलों के 328 मरीजों की मोतियाबिंद सर्जरी हुई, उन जिलाें के सिविल सर्जन काे सीएस डाॅ. विनय कुमार शर्मा ने कल्चर रिपोर्ट भेजी है। मरीजों की सूची भेज कर पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली और गोपालगंज के सीएस काे इनका पता लगाने काे कहा है। उन्हें कहा गया है कि यदि किसी मरीज में काेई इन्फेक्शन मिले, ताे जांच कर इन्हें आईजीआईएमएस पटना रेफर करवाने को कहा, ताकि उचित इलाज हो सके।
इन बिंदुओं पर सिविल सर्जन से मांगी रिपोर्ट, गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई
– जिले मे कितने निजी अस्पताल मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए सूचीबद्ध हैं, पता और कब तक संबद्धता है।
– सदर अस्पताल में कितने नेत्र विशेषज्ञ हैं। इन्होंने इस वित्तीय साल में कितने लोगों का इलाज किया।
– सदर अस्पताल में नेत्र शल्य कक्ष की स्थिति, मोतियाबिंद सर्जरी का लक्ष्य और संस्थावार उपलब्धि।
– जिला से संबद्ध संस्थाओं की निगरानी की व्यवस्था और मानकों के पालन की व्यवस्था की रिपाेर्ट।
– संबद्ध अस्पतालों की जांच, शर्त पालन हाेने न हाेने और ऐसी जांच-कार्रवाई के लिए तय अवधि।
– सरकार की ओर से इस वित्तीय वर्ष में मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए आवंटन और खर्च का ब्याेरा।
INPUT: Bhaskar