ब्रिगेडियर लिड्डर को उनकी बेटी और पत्नी ने जिस हिम्मत के साथ विदा किया उसे देख पूरा देश रो पड़ा

हमें हमेशा अपने देश के जवानों पर गर्व रहता है. इन्हीं की वजह से तो हम सुरक्षित हैं. इनकी बहादुरी भी तो काबिल ए तारीफ है जो ये देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक की भी परवाह नहीं करते. लेकिन सेना के इन जवानों से भी बहादुर होते हैं इनके परिवार वाले. ये जानते हैं कि इनका अपना सेना में जा कर जान की बाजी लगाएगा, ना जाने किस पल उन्हें खबर मिले कि उनका बेटा, पति, भाई या पिता वीरगति को प्राप्त हो गया. इसके बावजूद भी ये परिवार वाले डरते नहीं बल्कि गर्व करते हैं.




ब्रिगेडियर लिड्डर को दी गई अंतिम विदाई
बुधवार को कुन्नूर हेलिकॉप्टर क्रैश में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के अलावा जिन 11 लोगों ने अपनी जान गंवा दी उनमें से एक ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर भी थे. इनका परिवार भी ऐसे ही बहादुर परिवारों में से एक है. शुक्रवार को ब्रिगेडियर लिड्डर को अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान उनकी पत्नी और बेटी का हौसला देख कर पत्थर का कलेजा भी फट गया होगा.


पत्नी ने कही दिल छू लेने वाली बात
ब्रिगेडियर की पत्नी गीतिका लिड्डर ने अपने पति को अंतिम विदाई देते हुए उनके ताबूत को चूमा । इसके बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जो चले गए हमें उन्हें हंसते हुए एक अच्छी विदाई देनी चाहिए. जिंदगी बहुत लंबी है, अब अगर भगवान को ये ही मंजूर है तो हम इसके साथ ही जीएंगे, वो एक बहुत अच्छे पिता थे, बेटी उन्हें बहुत याद करेगी. ये एक बहुत बड़ा नुकसान है.


बेटी ने कहा मेरे पिता हीरो थे
अपने वीर पिता को खोने के बाद ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की बेटी ने भी अपनी हिम्मत दिखते हुए कहा कि मेरा पिता हीरो थे.


ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की 17 वर्षीय बेटी आशना लिड्डर ने कहा, मैं 17 साल की होने वाली हूं. मेरे पिता मेरे साथ 17 साल रहे. मैं उनकी अच्छी यादों के साथ आगे बढ़ूंगी. उनका जाना राष्ट्र के लिए नुकसान है. मेरे पिता हीरो थे. वे मेरे अच्छे दोस्ते थे. शायद उनका जाना हमारी किस्मत हो सकता है, या बेहतर चीजें आगे आएंगी. वे मेरे सबसे बड़े प्रेरक थे.

एलएस लिड्डर का होने वाला था प्रमोशन
26 जून, 1969 को जन्मे ब्रिगेडियर लिड्डर जनवरी 2021 से CDS के रक्षा सहायक थे. उन्हें दिसंबर 1990 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स में कमीशन दिया गया था. ब्रिगेडियर ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में कांगो में जम्मू और कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन की कमान संभाली थी. उन्होंने भारत की उत्तरी सीमाओं पर एक ब्रिगेड की कमान भी संभाली. उन्होंने सैन्य संचालन निदेशालय में निदेशक और कजाकिस्तान में रक्षा सहायक के रूप में भी काम किया.

INPUT:India Timews

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