मुजफ्फरपुर के 1200 लोगों का आर्म्स लाइसेंस का रिकॉर्ड पुलिस को नहीं मिल सका। इसका सत्यापन भी नहीं हुआ। जिससे ये पता लगे कि लाइसेंस धारक के पास सही में लाइसेंस है या नहीं। वर्तमान में उसके पास आर्म्स है भी या नहीं इसका कोई रिकॉर्ड पुलिस को नहीं मिला। दरअसल, पंचायत चुनाव से पूर्व जिले में आर्म्स लाइसेंस का सत्यापन कराया गया था। इसके लिए सभी थाना पर जाकर आर्म्स लाइसेंस का सत्यापन करवाना था। धारकों को इसकी सूचना भी दी गई। इसके लिए तिथि भी निर्धारित हुई थी। सभी थाना पर सत्यापन के लिए अलग-अलग तारीख रखा गया था।
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सत्यापन का कार्य पूरा होने के बाद जब मिलान किया गया तो पाया कि रिकॉर्ड से करीब 1200 लाइसेंस धारकों का कोई हिसाब नहीं है। पुलिस ने जब अपने स्तर से जांच करवाई तो पता लगा कि कुछ तो लाइसेंस लेकर विदेश जाकर बैठ गए हैं। जिससे उनका वेरिफिकेशन नहीं हो पाया। जबकि कुछ धारकों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
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DM से की जाएगी अनुशंसा
अब इन लाइसेंसों को रद्द करने की कवायद की जा रही है। इसे लिए सभी थानेदार SSP के माध्यम से DM को निलंबन की अनुशंसा करेंगे। पुलिस रिकॉर्ड अनुसार, जिले में करीब 58 सौ के आर्म्स लाइसेंस है। जिसका सत्यापन पंचायत चुनाव से पूर्व DM के आदेश पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सभी थानों पर सत्यापन किया गया था। इनमें से 17 सौ हथियार का हिसाब पुलिस को नहीं मिला था। इसके बाद संबंधित थानेदारों ने लाइसेंस धारकों से संपर्क कर हथियार और इसके लाइसेंस से संबंधित जानकारी ली। इस दौरान करीब 500 लोगों का आर्म्स विभिन्न आर्म्स दुकान में जमा कर दिया। ऐसे में 1200 हथियार का पुलिस को हिसाब नहीं मिला। SSP जयंतकांत ने बताया कि सत्यापन की रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। उनकी ओर से कार्रवाई को लेकर पत्र मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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हर माह औसतन 13 हथियार पकड़ रही पुलिस
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जिले में हर माह विभिन्न थाना क्षेत्रों से औसतन 13 हथियार पकड़े जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस वैध हथियार को खोज नहीं पा रही है। तो अवैध पर नियंत्रण कैसे होगा। इसी का नतीजा है कि जिले में लगातार हर्ष फायरिंग के मामले सामने आ रहे हैं। इसपर भी पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।





INPUT:Bhaskar
