मुजफ्फरपुर। जिले के 84 एलपीजी गैस गोदाम में 33 डेंजर जोन में हैं। कहीं घनी आबादी के बीच है तो कहीं गोदाम तक पहुंचने के लिए रास्ता सही नहीं है। इन इलाकों में हादसा होने पर अधिक जानमाल का नुकसान हो सकता है।
![]()

![]()
![]()
इसको लेकर फायर ब्रिगेड की टीम गैस गोदामों की सुरक्षा ऑडिट में जुटी है। शहरी क्षेत्र के अधिकांश गोदाम की ऑडिट की गई है। इसमें अधिकांश घनी आबादी में हैं।
![]()
![]()
इन गोदामों में अग्निशमन यंत्र, उपकरण व बचाव के उपायों की सही व्यवस्था नहीं मिली है। जिन गोदामों में फायर एक्सटिंग्विशर मिले हैं, वे काफी पुराने हो चुके हैं। फायर ब्रिगेड के कमांडेंट गौतम कुमार ने बताया कि सुरक्षा को लेकर मुख्यालय के निर्देश पर एलपीजी गैस गोदामों की सुरक्षा ऑडिट की जा रही है। कई जगहों पर गोदाम घनी आबादी में है, जो डेंजर जोन में आते हैं। ऑडिट पूरी होने पर आगे की कार्रवाई के लिए डीएम और मुख्यालय को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। वर्तमान में जिले में 33 गैस गोदाम डेंजर जोन में हैं। जिले में तकरीबन 84 एलपीजी गैस गोदाम हैं। इस महीने सुरक्षा ऑडिट पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
![]()
![]()
घनी आबादी में एक दर्जन से अधिक गोदाम :
फायर ब्रिगेड की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, काजी मोहम्मदपुर, सदर व ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र में एलपीजी के एक दर्जन से अधिक गैस गोदाम घनी आबादी में हैं। जहां कभी भी हादसा हो सकता है। वैसे, रिपोर्ट में बताया गया है कि उक्त गैस गोदाम जब उस इलाके में स्थापित किया गया था, तब वहां आबादी नहीं थी। अब उसे शिफ्ट करने की आवश्यकता है।
![]()
![]()
जांच के दौरान किया जा रहा जागरूक :
कमांडेट ने बताया कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी गैस गोदाम की सुरक्षा ऑडिट की गई। औराई व गायघाट में ऑडिट के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम ने गोदाम के कर्मियों को जागरूक किया है। अग्निशमन यंत्र के संचालन का तरीका बताया गया। अधिकांश कर्मी यंत्र चलाने में असहज दिखे।





INPUT:Hindustan
