मुजफ्फरपुर। बिहार में 69 फीसदी नवजात जन्म के दो हफ्ते बाद ही सांस में संक्रमण की बीमारी के शिकार हो जाते हैं। मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ा 80 फीसदी है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे में इसका खुलासा हुआ है।
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मुजफ्फरपुर में पिछले पांच वर्षों में यह संख्या 25 फीसद बढ़ गई है। वर्ष 2016 के दौरान जिले में 55 फीसद बच्चे जन्म के बाद सांस में संक्रमण का शिकार होते थे। पूरे बिहार में यह आंकड़ा 10 फीसदी बढ़ा है।
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सदर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा आलोक ने बताया कि बच्चों में सबसे पहला संक्रमण सांस की नली में ही होता है। प्रसव के दौरान सफाई नहीं रखने से संक्रमण हो जाता है। सांस की नली से लेकर फेफड़े तक संक्रमित हो जाते हैं। बच्चों में निमोनिया इसी संक्रमण से होता है। वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. चिन्मयन ने बताया कि जन्म के बाद स्तनपान नहीं कराने से भी बच्चे संक्रमण का शिकार होते हैं। बाहरी दूध पिलाने से संक्रमण बच्चों में पहुंच जाता है। जन्म के समय बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है, इसलिए मां का दूध पिलाना जरूरी होता है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ यह बीमारी चली जाती है, लेकिन शुरुआती दौर में विशेष सावधानी रखने की जरूरत होती है।
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कोरोना के डर से अस्पताल में कम हो रहे प्रसव
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा आलोक ने बताया कि पिछले दो वर्षों से कोरोना के कारण अस्पताल में प्रसव की संख्या घटी है। अधिकांश प्रसव घरों में हो रहे हैं। इस कारण भी बच्चों में संक्रमण हो रहा है। घरों में सफाई का ध्यान नहीं रखने से बच्चों में संक्रमण तेजी से होता है। इससे बच्चों में सांस की नली में संक्रमण की बीमारी बढ़ी है।
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जन्म के दूसरे हफ्ते से ही बुखार से पीड़ित हो जाते
सांस में संक्रमण के साथ बच्चे जन्म लेने के दूसरे हफ्ते से बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। बुखार के बाद ही सांस में संक्रमण की समस्या आती है। डॉक्टर ने बताया कि इसे एक्यूट रिस्पेरेट्री सिंड्रोम कहा जाता है। इस बीमारी में पहले बच्चों को बुखार होता है। फिर सांस फुलने लगती है।
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बच्चों को इस बीमारी से कैसे बचाएं
-प्रसव के दौरान सफाई रखें
-अस्पताल में ही प्रसव कराएं
-गर्भावस्था में पोषण का ध्यान रखें
-नवजात को मां का ही दूध पिलाएं





INPUT:Hindustan
