Muzaffarpur आई हॉस्पिटल प्रबंधन और डॉक्टरों के आंख निकालने की मांग, कार्रवाई नहीं होने पर निकाला गया आक्रोश मार्च

मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल कांड में एक माह से अधिक होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। FIR दर्ज करने के बाद पुलिस इससे आगे कुछ नहीं कर सकी। अब इसे लेकर मुजफ्फरपुर में लोगों का आक्रोश बढ़ने लगा है। गुरुवार को बिहार सिविल सोसाइटी ने कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकाला। संस्थापक आचार्य चंद्र किशोर पाराशर ने कहा कि हमारी नौ सूत्री मांगे हैं। जिसमें आंख के बदले आंख प्रमुख है। जिस तरह गरीब और बेसहारा लोगों को एक-एक आंख गयी है।




उसी तरह आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और डॉक्टरों की एक-एक आंखे निकाली जाए। इसे पीड़ितों को लगाया जाए। इसके अलावा आई हॉस्पिटल को सरकारी अस्पताल घोषित किया जाए। इसे सरकार अपने स्तर से चलाए। उन्होंने कहा कि मांगों को लेकर तिरहुत प्रमंडलीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा। अगर इसपर कोई कार्रवाई नहीं कि गयी तो व्यापक पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा।


बता दें कि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को 65 लोगों की आंखों का आपरेशन किया गया था। इसमे से 15 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी। जबकि 25 लोगों की आंखों की रौशनी चली गयी थी। जिनका इलाज पहले SKMCH फिर IGMS में किया गया। मामले में सिविल सर्जन के बयान पर ब्रह्मपुरा थाना में FIR दर्ज कराया गया था। जिसमें अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन, इस मामले में आगे कार्रवाई नहीं हो सकी। क्योंकि जांच टीम ने डॉक्टरों को क्लीन चीट दे दिया था। आपरेशन थिएटर के दो टेबल पर संक्रमण की बात लैब टेस्ट में सामने आई थी। लेकिन, यह संक्रमण किसके कारण फैला। इस बिंदु पर आगे जांच नहीं हुई।

INPUT:BHaskar

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